चक्र घंटा शूल मूसल, धर धनुष अरु बान,
शंख साजे हाथ गौरी, शीत चन्द्र समान |
शुंभ दलना मात शारद, सृष्टि जननी जान,
है नमन माता चरण में, मात दें वरदान ||
कर कमल अरु अक्षमाला, विश्व ध्यावे मात,
विष्णु पत्नी, मात कमला, गुण फिरूँ मैं गात |
हरिप्रिये माता दयानिधि, मैं मनुज की जात,
है नमन माँ श्री चरण रज, ध्यात हूँ दिन रात ||
मौलिक/अप्रकाशित.
(संशोधित)
Comment
प्रिय अशोक भाई माँ शारदा की स्तुति पर लिखा छंद ...बहुत ही सुन्दर ..गेय लगा ...मै भी प्रार्थना करने लगा
हरिप्रिये माता दयानिधि, मैं मनुज की जात,
है नमन माँ श्री चरण रज, ध्यात हूँ दिन रात ||
...
बहुत सुन्दर
आदरेया डॉ. प्राची जी, आदरणीय अरुण निगम साहब माँ शारदा की स्तुति पर लिखा छंद भला लगा जानकर लेखन कर्म सफल हुआ आपका हार्दिक आभार.
माँ को समर्पित भावमयी रूपमाला के लिए बधाइयाँ आदरणीय अशोक जी....
आदरणीय अशोक रक्ताले जी
माँ शारदे की स्तुति को रूपमाला छंद में प्रस्तुत करने पर बहुत बहुत बधाई..
बहुत सुन्दर माधुर्यपूर्ण रचना लिखी है आदरणीय.
आदरणीय विन्ध्येश्वरी जी आदरणीय संदीप जी अल्प विराम को नियत विराम देकर मैंने इस माता की स्तुति को छंद रूप में संशोधित कर दिया है. जय माता दी !
आदरणीय लड़ीवाला साहब, आदरणीय केवल प्रसाद जी,आदरणीय बृजेश नीरज जी देवियों की स्तुति को सराहने के लिए आपका हार्दिक आभार.
आदरणीय एडमिन जी सादर, उक्त प्रस्तुत माता की स्तुति को छंद बद्द कर पुनः प्रस्तुत कर रहा हूँ कृपया इसे मूल रचना से बदलने का कष्ट करें. आभार.
चक्र घंटा शूल मूसल, धर धनुष अरु बान,
शंख साजे हाथ गौरी, शीत चन्द्र समान |
शुंभ दलना मात शारद, सृष्टि जननी जान,
है नमन माता चरण में, मात दें वरदान ||
कर कमल अरु अक्षमाला, विश्व ध्यावे मात,
विष्णु पत्नी, मात कमला, गुण फिरूँ मैं गात |
हरिप्रिये माता दयानिधि, मैं मनुज की जात,
है नमन माँ श्री चरण रज, ध्यात हूँ दिन रात ||
आदरणीय अशोक सरजी सादर प्रणाम
क्या स्वरूप प्रस्तुत किया है मातरानी का आपने साधुवाद
भाई विंध्यशवरी जी की बात से सहमत हूँ ये द्विपादियाँ हैं या कोई विशिष्ट छन्द
सादर
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