बेशक उसका जन्म हुआ है
मंदिर में स्थापित देवताओं को
दूर से प्रणाम करने के लिए
बेशक उसका जन्म हुआ है
मंदिर प्रांगण के बाहर से
टुकुर-टुकुर ताकने के लिए
बेशक उसका जन्म हुआ है
अपनी वर्तमान दुर्दशा के लिए
खुद को ज़िम्मेदार मानने के लिए
बेशक यदि वो नही पहुंचे
तो सफल नही हो सकता
उनका कोई विशिष्ट आयोजन...
बेशक यदि वह नहीं जाए
तो भरपेटो के पैसों से बना
इतना सारा भोग-प्रसाद
फिर कौन खाए....
जाने क्यों वो
अपनी दुर्दशा का कारण
समझ नहीं पाता है
और उनके भव्य आयोजनों को सफल बनाने
सपरिवार भूखे पेट,
पहुँच ही जाता है....
Comment
वाह! मगर मजबूरी और गुलामी की जंजीरों को काट पाना आसान भी तो नहीं. सुन्दर रचना हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीय अनवर सौहेल जी.
जाने क्यों वो
अपनी दुर्दशा का कारण
समझ नहीं पाता है
और उनके भव्य आयोजनों को सफल बनाने
सपरिवार भूखे पेट,
पहुँच ही जाता है....--------बहुत गहरे और मन को सिहरा देने वाले भाव, हम कितने विकसित हुए ?
ये पंक्तिया बता रही है | बहुत बहुत बधाई भाई अनवर सुहैल जी
बहुत सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय अनवर जी
मर्मस्पर्शी, शब्दों से मन को झकझोरती, सशक्त अभिव्यक्ति के लिए बधाई स्वीकारें
जाने क्यों वो
अपनी दुर्दशा का कारण
समझ नहीं पाता है
और उनके भव्य आयोजनों को सफल बनाने
सपरिवार भूखे पेट,
पहुँच ही जाता है.
अनुत्तरित
बधाई,
सादर
आ0 अनवर सुहैल जी, ’बेशक यदि वो नही पहुंचे
तो सफल नही हो सकता
उनका कोई विशिष्ट आयोजन...’ अतिसुन्दर। बधाई स्वीकारें। सादर,
बेशक उसका जन्म हुआ है
मंदिर प्रांगण के बाहर से
टुकुर-टुकुर ताकने के लिए
बेशक उसका जन्म हुआ है
अपनी वर्तमान दुर्दशा के लिए
खुद को ज़िम्मेदार मानने के लिए///////////
बहुत सुन्दर! आदरणीय अनवर जी,
बहुत सुन्दर!
बेशक उनका जन्म हुआ है
मंदिर प्रांगण के बाहर
दूर से प्रणाम करने के लिये.......इन्ही तीन लाईनों ने बहुत कुछ कह दिया है . आपको बहुत बधाई ,
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online