For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नवरात्र...कैसा ..लघु कथा / कुशवाहा

नवरात्र...कैसा  ..लघु कथा / कुशवाहा 
-----------------------------------------------
अब आपके कर्म अच्छे थे कि बड़े  अधिकारी  बन गए या देश में  रसूखदार पदवी पा गए. इससे हम क्यों जलें कि आपको जब परिवार में शादी ब्याह, जीना मरना हो, मंदिर दर्शन करना हो  तो लगा लिया ग्रह जनपद या पास के क्षेत्र का भ्रमण. निरीक्षण का निरीक्षण और सरकारी  सुविधाओं के साथ निजी कार्य भी निपटाया, यानी कि एक पंथ दो काज. दामाद जैसी खातिरदारी सो अलग.स्टाफ तो निजी नौकर है भले ही वो सरकारी है. 
ख़ैर जाने दीजिए इसको .भाग्य भाग्य की बात है. 
अब साहब इतना तो ठीक पर बात हो मंदिर दर्शन की . साहब , उसके साथ प्रोटोकाल कोई बात नहीं. 
हुक्म हुआ . प्रसाद, फल फूल माला की. गजोधर को तपाक  से उनके अधिकारी ने व्यवस्था हेतु निर्देश दिए कि जल्दी से सामान ले आओ. 
साहब..?
क्या ..?
कुछ नहीं .
मेहमान अधिकारी दोनों का वार्तालाप सुन रहे हैं पर मौन. वर्मा जी ,जो स्थानीय अधिकारी हैं ,से बोले आपका कार्य बहुत बढ़िया है.  जाते ही आपके  प्रोमोशन की संस्तुति कर दूंगा. 
वर्मा जी, लगभग शाष्टांग होते हुए बोले जी सर यहाँ  की जितनी मशहूर चीजें हैं , पैक करवा दी हैं . 
अरे गजोधर , तुम गए नहीं .
जी पहले  वालों के प्रसाद के पैसे आज तक नही मिले. 
प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा 
१८-४-२०१३ 
मौलिक/अप्रकाशित 

Views: 561

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 18, 2013 at 11:24pm

आदरणीय  प्रदीप कुमार सिहं जी,   सार्थक कथ्य।  हार्दिक बधाई स्वीकारे।  साद

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 18, 2013 at 9:59pm
आदरणीय प्रदीप सर जी सादर प्रणाम
बहुत ही सुन्दर लघु कथा सर जी
सादर बधाई हो
Comment by वेदिका on April 18, 2013 at 7:16pm

किसी को क्या पड़ी है आम आदमी की ...
शुभकामनाये आदरणीय संदीप जी!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 18, 2013 at 6:14pm

अफसरगिरी में ये सब आज आम है....

सरकारी दामाद बन क्या नहीं करते ये लोग. शायद अंतरात्मा कभी जवाब ही नहीं माँगती...

सुन्दर प्रस्तुति पर बधाई आदरणीय प्रदीप जी 

Comment by Kavita Verma on April 18, 2013 at 5:10pm

vo sochate hai mandir ke baahar jo hua bhagvan ko kya pata ...sateek vyang karti sundar laghukatha..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service