For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

!!! लखनऊ शहर !!!

जीवन है सरस लखनऊ सदा!!!
नवाबी सुरूर,
बागों की हूर
हुस्न औ शबाब,
हजरत आदाब।
अमनों शहर मजहबी सजदा।
जीवन है सरस लखनऊ सदा!!1
मस्जिद आजान
मंदिर रस गान
अमृत औ नीरज
साहित्य धीरज।
शायर कवि कहते बेपरदा।
जीवन है सरस लखनऊ सदा!!2
भूल भुलईया
दिलकुशा छइयां
गंजो का गंज
बागों का ढंग।
यहां हरियाली रहती फिदा।
जीवन है सरस लखनऊ सदा!!3
गलियों की महक
अहातों की चहक
पतंगी जुनून
फाखता सुकून।
आन बान शान शौकत अदा।
जीवन है सरस लखनऊ सदा!!4


के0पी0सत्यम/ मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 837

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 4, 2013 at 8:33am

आ0 रक्ताले जी,   प्रणाम!  आपके स्नेह और आशीश बचनों के लिए तहेदिल से हार्दिक अभिवादन व बहुत बहुत आभार।  सादर,

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 4, 2013 at 7:34am

वाह! लखनऊ शहर की फिजाओं का बहुत सुंदर वर्णन करती सटीक प्रवाह युक्त रचना मन मोहक है. बहुत बहुत बधाई स्वीकारें आदरणीय केवल प्रसाद जी. 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 4, 2013 at 7:20am

आदरणीय गुरूवर सौरभ सर जी,  सुप्रभात व सादर प्रणाम!  जी, लखनऊ है ही ऐसा शहर।  जी सर, सक्सेना जी को मैं तो अच्छी तरह से जानता हूं।  वे कविताएं तो नहीं लिखते थे लेकिन उनका गद्य भी किसी कविता से कम नहीं हैं।  उनकी शैली, खुशमिजाजी, सहृदयी और वे स्वयं मिलनसार के साथ ही साथ हिन्दी के उत्थान में सदैव तत्पर और चिन्तनशील पुरूष हैं।  उनकी जितनी भी तारीफ की जाए कम ही है। उनके सामने मैं उम्र और लेखन दोनों मे ही नवजात था। 1981 से हिन्दी के अध्यापक श्रध्देय स्व0 शुखदेव प्रसाद शुक्ल जी ने नींव डाली थी, इस समय मैं इण्टर में पढ़ रहा था।  इसी वर्ष मेरे पिता जी के इन्तकाल से मैनें काफी उतार ही उतार देखे।  जी, उनके लेखों का मुझपर बहुत असर है भले ही मैं उनके जैसा नहीं लिख पाता हूं।  उनकी रचनाएं हमारी प्रेरणा स्रोत हैं।  वो शायद मुझे चेहरे से पहचान लें लेकिन मेरा नाम नहीं जानते हैं।  हां!  मैं अक्सर उनके निवास के सामने से निकलता हूं। सदैव ही याद ताजा हो आती है।  अब तो वे मुम्बई में ही रहते हैं, जबकि वे इसके शक्त विरोधी भी रहे हैं।  जब से उन्होने दूरदर्शन में काम किया, इरादा बदल गया और आज उन पर पूरे देश को गर्व है।  उनका नखलऊ कहने का अंदाज भी निराला था। एक बात और आपके संज्ञान में लाना चाहता हूं कि यह ‘नखलऊ‘ शब्द कानपुर के लोगों की देन है। आपने इस रचना के माध्यम से बहुत सुन्दर बात कही जो आम जन का प्रतिनिधित्व करती है। हां!  यदि अब कभी भी उनसे मुलाकात होगी तो कोशिश करूंगा कि आपसे बात करा सकूं। आपका बहुत-बहुत हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 4, 2013 at 6:20am

आदरणीया कुन्ती जी,  सुप्रभात! जी, लखनऊ है ही ऐसा शहर।  इसके विषय में जितना भी लिखें कुछ न कुछ रह ही जाता है।  आपको गीत पसंद आया। मैं आपका हृदय से आभारी हूं।  आपकी यात्रा मंगलमय हो, की शुभकामनाओं सहित  हार्दिक आभार।  सादर,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 3, 2013 at 10:41pm

रचना तो नखलऊ की होनी थी.. आपने लखनऊ पर ठोंक मारी. 

आप केपी सक्सेनाजी से अवश्य मिल लें. अगर मिल चुके हों तो आपको मेरा हार्दिक नमस्कार जो आप उनको पहुँचा देंगे. मैं श्रद्धेय सक्सेनाजी का बहुत भयंकर फैनों में से हूँ. मगर मिला कभी नहीं हूँ.

शुभं

Comment by coontee mukerji on May 3, 2013 at 10:05pm

केवल जी , आपने लखनऊ पर बहुत ही सुंदर  लिखा है......हम  (मैं और डाक्टर मुकर्जी)अपनी लम्बी यात्रा समाप्त कर जल्दी ही आपसे मिलेंगे . सादर / कुंती .

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 3, 2013 at 8:00pm

आ0  बृजेश नीरज जी,  हां! भाई जी,  मैं लखनऊ, गोमती नगर में रहता हूं। इससे पहले भी एक ’महात्मागांधी मार्ग से कालीदास मार्ग तक’ रचना पोस्ट कर चुका हूं।   आपका  तहेदिल से शुक्रिया और बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 3, 2013 at 7:48pm

आ0  गीतिका वेदिका जी,  आपका हार्दिक स्वागत के साथ-साथ तहेदिल से शुक्रिया और बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by बृजेश नीरज on May 3, 2013 at 12:28am

केवल भाई आज पता चला कि आप लखनऊ में रहते हैं। इस कसीदे के लिए आपको बधाई।

‘मुस्कुराइए कि आप लखनऊ में हैं’…………. जो लखनऊ न आए हों वो यहां तुरन्त पधारें।

Comment by वेदिका on May 2, 2013 at 11:28pm

वाह केवल प्रसाद जी!
आपने तो यहीं बैठे बैठे लखनऊ की यात्रा करा दी
बहुत खूब

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"अगले आयोजन के लिए भी इसी छंद को सोचा गया है।  शुभातिशुभ"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका छांदसिक प्रयास मुग्धकारी होता है। "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह, पद प्रवाहमान हो गये।  जय-जय"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी, आपकी संशोधित रचना भी तुकांतता के लिहाज से आपका ध्यानाकर्षण चाहता है, जिसे लेकर…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई, पदों की संख्या को लेकर आप द्वारा अगाह किया जाना उचित है। लिखना मैं भी चाह रहा था,…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए है।हार्दिक बधाई। भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ । "
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, हार्दिक धन्यवाद  आभार आपका "
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद  आभार आदरणीय अशोक भाईजी, "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभाजी "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी बहुत सुन्दर भाव..हार्दिक बधाई इस सृजन पर"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह..बहुत ही सुंदर भाव,वाचन में सुन्दर प्रवाह..बहुत बधाई इस सृजन पर आदरणीय अशोक जी"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service