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भक्तों के मुख मलिन हैं ,पूजा-गृह में गर्द ,

प्रभु अपने किससे कहें देव-भूमि का दर्द !

हुई न ऐसी त्रासदी जैसी है इस बार ,

प्रभु ने झेली आपदा बदरी क्या केदार !

बादल,बारिश,मृत्यु के कारण बने पहाड़ ,

धरती काँपी,मनुज के थर-थर काँपे हाड़ !

पाहन के भगवान जी ,विपदा पत्थर संग,

भक्तों ने खुद ही लड़ी खूब मौत से जंग !

श्रद्धा इनकी देखिये ,कितने भक्त महान,

हर कि पैडी पर हुआ  कीचड़ में ही स्नान !

_______________प्रो .विश्वम्भर शुक्ल ,लखनऊ 

(मौलिक और अप्रकाशित )

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Comment by Savitri Rathore on June 27, 2013 at 2:46pm

समसामयिक रचना के लिए हार्दिक बधाई,साथ ही सुन्दर छंद विधान !

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 27, 2013 at 11:06am

सामयिक और सार्थक दोहे | वाह ! बहुत खूब दिल से हार्दिक बधाई आदरणीय श्री विशम्भर शुक्ल जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 26, 2013 at 6:48pm
सम-सामयिक दोहों के लिए हृदय से बधाई, आदरणीय विश्वम्भरजी. भावनाओं को तार्किकता के साथ अभिव्यक्ति मिली है.

सादर
Comment by JAWAHAR LAL SINGH on June 25, 2013 at 9:13pm

भक्तों के मुख मलिन हैं ,पूजा-गृह में गर्द ,

प्रभु अपने किससे कहें देव-भूमि का दर्द !

आदरणीय विश्वम्भर शुक्ल जी , सादर अभिवादन !

इस त्रासदी की कोई तुलना नहीं जहाँ भक्त और भगवान एक साथ ब्यथित हुए हैं 
Comment by annapurna bajpai on June 25, 2013 at 8:53pm

आदरणीय विशम्भर जी प्रभु के दर्द को  बड़े ही अच्छे ढ़ग से बयान किया है । बहुत आभार

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 25, 2013 at 8:20pm

आ0 विश्वम्भर सर जी,  बहुत ही दर्दनीय चित्रण सहित सुन्दर दोहे रचे है।  हार्दिक बधाई स्वीकारें।  किन्तु अन्तिम दोहा एक बार फिर से देख लें।  सादर,

Comment by अरुन 'अनन्त' on June 25, 2013 at 1:15pm

आदरणीय बहुत ही सुन्दर एवं उत्तम दोहे रचे हैं, सुन्दर सत्य सटीक दोहों हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by वेदिका on June 25, 2013 at 1:09pm

यही श्रद्धा चेतना बन जाये तो त्रासदी को मिटीगेट करने में बल मिले।

 सार्थक रचना परबधाई   

Comment by Shyam Narain Verma on June 25, 2013 at 10:44am
इस प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ.....................
Comment by D P Mathur on June 25, 2013 at 9:12am

आदरणीय सादर नमस्कार , हिन्दू धर्म की जड़ें इतनी गहरी है , ये एक त्रासदी उसे हिला नही सकती अच्छे दोहों के लिये धन्यवाद !

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