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धन की खटिया छोड़ दे, मोह नहीं रख पास

तन मन चंगा रख सके, मन में भरे मिठास |

 

समय मौत ग्राहक कभी, आ टपके अनजान

इन्तजार करना नहीं, इनकी फिदरत जान |

  

मात पिता स्व यौवन का,सदा करे सम्मान, 

जाने पर फिर ना मिले,सहजे रखकर ध्यान | 

 

छोडो चिंता अतीत की, चिंतन में हो आज,

समय व्यर्थ गँवाय नहीं, झट निपटावे काज |

 

उत्तम संग संगीत का, संत संग हो बात,

दोस्त बने सह्रदय के, दुनिया को दे मात |

 

विद्या श्रम अरु प्रभु में, सतत रहे संग्लन

उन्नति का ये मार्ग है, करे हमेशा यत्न |

 

इनको कम ना आंकिये, रोग शत्रु अरु कर्ज

वश में इनको रख सदा, काम क्रोध का मर्ज |

 

लोभ क्रोध अरु बदचलन, कर देते कमजोर,

आत्मबल कमजोर करे, मन में बैठे चोर |

(मौलिक व् अप्रकाशित)

-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला

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Comment by अरुन 'अनन्त' on August 2, 2013 at 3:20pm

आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद सर जी उत्तम दोहावली हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 2, 2013 at 2:17pm

दोहे पसंद करने के लिए आपका आभार श्री केतन परमार जी, एवं श्री विजय मिश्र जी 

Comment by विजय मिश्र on August 2, 2013 at 1:27pm
सुंदर दोहो में सिखावन भा गया लक्ष्मणजी .अतिसुन्दर .
Comment by Ketan Parmar on August 2, 2013 at 1:02pm

धन की खटिया छोड़ दे, मोह नहीं रख पास

तन मन चंगा रख सके, मन में भरे मिठास |

Comment by Ketan Parmar on August 2, 2013 at 1:02pm

jo mithas aapke man me hai kaash yaha par sabke man me ho sir ji bahut hi acha likha hai aapne.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 2, 2013 at 12:07pm

दोहे पसंद कर उत्साहवर्धन करन के लिए आपका हार्दिक आभार श्री श्याम नारायण वर्मा जी, आदरणीय शुभ्रा शर्मा जी, एवं श्री बसंत नेमा जी, क्रपया यूँ ही स्नेह सहयोग बनाए रखे 

Comment by बसंत नेमा on August 2, 2013 at 11:11am

आ0 लक्ष्मन जी बहुत ही सुन्दर दोहे है ... बधाई शुभकामानाये 

Comment by shubhra sharma on August 1, 2013 at 4:21pm

आदरणीय लडिवाला जी , आपकी हर पंक्ति ला -जबाब है , को बड़ -छोट कहत अपराधू 

बहुत बहुत बधाई  
Comment by Shyam Narain Verma on August 1, 2013 at 2:37pm
बहुत ही सुन्दर! हार्दिक बधाई आपको!

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