For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघु -कथा - अधूरा काम

बूढी दादी अपने पोते गोलू को लेकर गाँव के प्राथमिक विद्यालय में गई . उनको देखकर मास्टर साहब कहने लगे कि आपने इतना कष्ट क्यों किया . दादी जी बोली -गोलू पढ़ेगा इसी विद्यालय में लेकिन दोपहर का खाना ये घर पर ही खायेगा . बस एक ही बात कहने को आयी हूँ कि इसके पिता ने हमें शहीद की माँ होने का गौरव दिया है और इसे उसके अधूरे काम को पूरा करने के लिए जिन्दा रहना है .

शुभ्रा शर्मा 'शुभ '

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 1101

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वीनस केसरी on August 15, 2013 at 3:33am

फैज़ साहब का एक शेर बड़ी शिद्दत से याद हो आया ....

वो बात सारे फ़साने में जिसका जिक्र न था

वो बात उनको बड़ी नागवार गुजारी है

जब हम अपनी रचना में बिना कहे कोई बात कह जाएँ तो चमत्कार से पाठक को बाँध लेते हैं ... अपने ये चमत्कार इस लघुकथा में करके दिखाया है

तहे दिल से ढेरो मुबारकबाद


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 14, 2013 at 10:59pm

बहुत ही कसी हुई सुन्दर संदेशपरक सार्थक लघुकथा 

बहुत बहुत बधाई आ० शुभ्रा शर्मा जी 

Comment by shubhra sharma on August 14, 2013 at 10:57am

आदरणीय जीतेन्द्र जी , धन्यवाद 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 14, 2013 at 9:43am

आदरणीया शुभ्रा जी

आपने छोटी सी रचना से, बहुत सशक्त सन्देश दिया

बहुत बहुत बधाई

Comment by shubhra sharma on August 13, 2013 at 4:42pm

आदरणीय अमन जी , अतिलघु कथा अपने सही रूप में पहुँचा ,धन्यवाद 

Comment by shubhra sharma on August 13, 2013 at 4:38pm

आदरणीया विनीता जी , बहुत बहुत धन्यवाद 

Comment by Vinita Shukla on August 13, 2013 at 3:00pm

कुछ पंक्तियों में ही, आपने बहुत बड़ी बात कह दी. "देखन में छोटे लगें, घाव करें गंभीर" आपकी कथा की ये पंक्तियाँ, इस कसौटी पर बिलकुल खरी उतरती हैं. बधाई एवं साधुवाद.

Comment by aman kumar on August 13, 2013 at 2:34pm

 १ लेकिन दोपहर का खाना ये घर पर ही खायेगा 

 2 उसके अधूरे काम को पूरा करने के लिए जिन्दा रहना है

सारी समस्या को ही आपने अपनी एस कथा से सुलझा दिया है आपका आभार ......

Comment by shubhra sharma on August 13, 2013 at 10:44am

ओ बी ओ परिवार को एक मंच देने ,सही मार्गदर्शन के लिए  तहे दिल से मेरा आभार ,

Comment by shubhra sharma on August 13, 2013 at 10:39am

आदरणीय शुभ्रांशु  जी ,   हौसला बढ़ाने  के लिए हार्दिक  धन्यवाद 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
11 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service