For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दर्द को क्यों आज मेरी याद आई है ....

दर्द को क्यों आज मेरी याद आई है
हो रही मद्धम सफ़ों की रोशनाई है।

मुद्दत हुई जो तड़प हम भूल बैठे थे
वो ग़ज़ल फिरआज दिल ने गुनगुनाई है ?

आजमाता ही रहा मौला मुझे हर वक़्त
खूब किस्मत है गज़ब की आशनाई है।

माना जर्रा भी नहीं हम कायनात के
तेरे दर तक हर सड़क हमने बनाई है।

मेरे सूने से मकाँ में मेहमान बन के आ
बियाबाँ में बहारों की बज़्म सजाई है ।

दरिया के किनारों सा चलता रहा सफ़र
इस ओर ख्वाहिशें हैं उस ओर खुदाई है।

-ललित मोहन पन्त

12. 52 दोपहर
20 .08 .2013

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 610

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 27, 2013 at 3:25pm

भाई, ज़िग़र और गुर्दे तो ज़रूर चाहिये होते हैं ..लेकिन अब इतने भी बड़े नहीं कि पेट हरदम फूला हुआ दिखाई दे. उसका ढोना फिर मुश्किल हो जाता है. . :-))))))))

Comment by dr lalit mohan pant on August 27, 2013 at 3:06pm

Saurabh Pandey जी ,अच्छा हुआ आपने जिगरे और गुर्दोँ की याद दिला दी वो तो इतने बड़े हैं क़ि मुश्किल से सम्भलते हैं …. 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 27, 2013 at 12:52am

आदरणीय ललितजी, इस मंच के सदस्य उस्ताद के पीछे नहीं भाग कर आपस में सीखते हैं. बशर्ते कोई वाकई सीखने का ज़िगरा रखता हो और महनतके लिए गुर्दा रखता हो.

ग़ज़ल पर बहुत कुछ उपलब्ध है यहाँ. आप आगे तो बढ़ें.

Comment by mrs manjari pandey on August 25, 2013 at 3:13pm

      आदरणीय ललित मोहन जी कहीं दिल के कोने से आपने  बात कह दी . रचना अच्छी लगी

       मुद्दत हुई जो तड़प हम भूल बैठे थे
वो ग़ज़ल फिरआज दिल ने गुनगुनाई है ?


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 24, 2013 at 1:28pm

गज़ल लिखने की बहुत सुन्दर कोशिश है आ० डॉ० ललित मोहन पन्त जी 

गज़ल लिखते हुए बहर को भी साथ में ज़रूर लिखा दिया करें पाठक को समझने में आसानी होती है 

इस सद् प्रयास के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ 

Comment by राज़ नवादवी on August 22, 2013 at 2:41pm

सुन्दर प्रयास है-

दर्द को क्यों आज मेरी याद आई है 
हो रही मद्धम सफ़ों की रोशनाई है। 

मुद्दत हुई जो तड़प हम भूल बैठे थे 
वो ग़ज़ल फिरआज दिल ने गुनगुनाई है ?

-बधाई!

Comment by dr lalit mohan pant on August 21, 2013 at 3:31pm

Abhinav Arun जी सीखने की कोशिश में हूँ उस्ताद ढूंढ रहा हूँ कोई मेरे लिखे का इस्लहा कर मुझे रास्ता दिखा दे   …. मुश्किल लगता है फिर हार जाता हूँ तो लगता है जैसा है वैसा ही सही  …मेरे लिये  तो यह रिल़ेक्ष  होने का एक ही जरिया है  …. कोशिश करते करते लगता है मैं भी सीख जाऊँगा एक दिन   … ऐसे ही इंगित करते  रहेंगे तो  आभार होगा। … 

Comment by dr lalit mohan pant on August 21, 2013 at 3:21pm

जितेन्द्र 'गीत' जी तारीफ और और रचना पसंद करने के लिए शुक्रिया   …. 

Comment by dr lalit mohan pant on August 21, 2013 at 3:18pm

 SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR  आपकी हौसला अफजाई का शुक्रिया  …  

Comment by Abhinav Arun on August 21, 2013 at 7:09am

भाव और उदगार अच्छे हैं। ग़ज़ल की तकनीक की जानकारी अपेक्षित है । 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ सत्तरवाँ आयोजन है।.…See More
2 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"सादर प्रणाम🙏 आदरणीय चेतन प्रकाश जी ! अच्छे दोहों के साथ आयोजन में सहभागी बने हैं आप।बहुत बधाई।"
yesterday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ! सादर अभिवादन 🙏 बहुत ही अच्छे और सारगर्भित दोहे कहे आपने।  // संकट में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"राखी     का    त्योहार    है, प्रेम - पर्व …"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"दोहे- ******* अनुपम है जग में बहुत, राखी का त्यौहार कच्चे  धागे  जब  बनें, …"
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service