For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वो जिसको मालोज़र पैसा बहुत है

वो जिसको मालोज़र पैसा बहुत है

हक़ीक़त में वही रोता बहुत है

यक़ी करना ज़रा मुश्किल है तुझपे

तेरा तर्ज़े अदा मीठा बहुत है

वो पहली आरी की ज़द में रहेगा

शजर जो बाग़ में सीधा बहुत है

उसे तो साफगोई की है आदत

बगरना आदमी अच्छा बहुत है

वो कहता है "तुम्हें हम देख लेंगे"

हमारे पास भी रस्ता बहुत है

कभी तू ने हमें अपना कहा था

हमारे वास्ते इतना बहुत है

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 597

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 2, 2013 at 9:13am

वो पहली आरी की ज़द में रहेगा
शजर जो बाग़ में सीधा बहुत है-----इस शेर की जितनी तारीफ़ करूँ कम होगी ,कितनी गंभीर बात कही है शेर के माध्यम से ,क्या कहने इस खूबसूरत ग़ज़ल के लिए दिल से दाद देती हूँ ।

Comment by वीनस केसरी on September 2, 2013 at 4:47am

बेपनाह खूबसूरत ग़ज़ल हुई है ... दाद क़ुबूल करें


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 1, 2013 at 11:46pm

ग़ज़ल का हर शेर क़ामयाब है, आदरणीय सुशील जी.

अतिशय बधाइयाँ

Comment by vijayashree on August 31, 2013 at 10:55pm

कभी तू ने हमें अपना कहा था

हमारे वास्ते इतना बहुत है

सुंदर ग़ज़ल

बधाई स्वीकारें 

Comment by MAHIMA SHREE on August 30, 2013 at 10:42pm

कभी तू ने हमें अपना कहा था

हमारे वास्ते इतना बहुत है.... वाह सुंदर गज़ल प्रस्तुति बधाई आपको

Comment by annapurna bajpai on August 30, 2013 at 9:20pm
आदरणीय काफी सुंदर गजल हुई है । बहुत बधाई आपको ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on August 30, 2013 at 7:16pm

//उसे तो साफगोई की है आदत

बगरना आदमी अच्छा बहुत है//  क्या खूब कहा आदरणीय सुशील सर आपने वाह दाद कुबूल करें

Comment by राजेश 'मृदु' on August 30, 2013 at 4:01pm

वाह-वाह.... केवल वाह ही वाह, बड़ी शानदार रचना है  । बशीर साहब की कुछ पंक्तियां याद आ गई, सादर

मैं कब कहता हूँ वो अच्छा बहुत है
मगर उसने मुझे चाहा बहुत है

खुदा इस शहर को महफ़ूज़ रखे
ये बच्चो की तरह हँसता बहुत है

मैं हर लम्हे मे सदियाँ देखता हूँ
तुम्हारे साथ एक लम्हा बहुत है




सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 30, 2013 at 12:06pm

सुशील भाई , बहुत अच्छी गज़ल कही , बधाई !

यक़ी करना ज़रा मुश्किल है तुझपे

तेरा तर्ज़े अदा मीठा बहुत है

वो पहली आरी की ज़द में रहेगा

शजर जो बाग़ में सीधा बहुत है ---------------- दो शेर विषेश लगे !!

Comment by Shyam Narain Verma on August 30, 2013 at 11:42am
बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ………………

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम. . . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। रोटी पर अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
47 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
56 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
58 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आदाब।‌ हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब। आपकी उपस्थिति और…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
23 hours ago
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service