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"यदि हर अपराधी की माँ ऐसी होने लगे तो अपराध जड़ से समाप्त होते देर नहीं लगेगी"
अनुपमा जी /एकदम सही कहा आपने /आभार
"जितनी बुराई है उतनी अच्छाई भी है इसी दुनिया में "..sahi bat hai श्याम जुनेजा sir.
गिरिराज भंडारी ji aabhar!!!
"अगर घर से सही शिक्षा मिले तो ..........
समाज मे अपराध न हो , "......bilkul Aman Kumar ji
ऐसे अपराघियों का पारिवारिक बहिष्कार बहुत जरूरी है..ji Meena ji ....100% sahamat hu..
इस लघु कथा के माध्यम से समाज को सुन्दर सन्देश जाएगा | बहुत बहुत बधाई स्वीकारे श्री अविनाश बागडे जी
आदरणीय अविनाश जी. उस थप्पड़ की गूँज दूर तक सुनाइ दे रही है....
सादर.
आदरणीय अविनाश जी
बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर लघु-कथा पर..
एक इंसान की हरकत देख पूरे समुदाय के लिए वैसा ही सोचना ठीक नहीं.. कई-कई ऐसे अपराध सिर्फ वैयक्तिक मानसिकता पर ही निर्भर करते हैं ... जो एक तरह के मनोवैज्ञानिक रोग ही होते हैं.
सुन्दर सन्देश दिया है...
हार्दिक बधाई
....लेकिन अभी भी शिल्प को काफी और कसा जा सकता है, जिस पर विशेषज्ञ ही अपनी महत्वपूर्ण राय दे सबको सीखने का अवसर प्रदान कर सकते हैं.
सादर.
आ० बागड़े जी बहुत अच्छी लगहु कथा , यदि हर अपराधी की माँ ऐसी होने लगे तो अपराध जड़ से समाप्त होते देर नहीं लगेगी ।
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