छंद त्रिभंगी : चार पद, दो दो पदों में सम्तुकांतता, प्रति पद १०,८,८,६ पर यति, प्रत्येक पद के प्रथम दो चरणों में तुक मिलान, जगण निषिद्ध
रज कण-कण नर्तन, पग आलिंगन, धरती तृण-तृण, अर्श छुए
कर तन मन चंचल, फर-फर आँचल, मुक्त उऋण सी, पवन बहे
सुन क्षण-क्षण सरगम, अन्तर पुर नम, विलयन संगम, भाव बिंधे
सुन्दरतम नियमन, श्रुति अवलोकन, लय आलंबन, सृजन सुधे
मौलिक और अप्रकाशित
Comment
वीनस जी,
आपके कहे से पूर्णतः सहमत हूँ कि " छन्द का मूल विधान भी दर्शाना चाहिए"....सो विधान को मूल पोस्ट के साथ एड कर दिया गया है.
भाईजी ये रचना एक विशेष मनोदशा की उत्पत्ति है, जिसमें प्रकृति की ख़ूबसूरती और अनंत विस्तार को प्रकृति का अभिन्न अंश बन कर उसमें लीन हो कर जी जाने का वर्णन है..
इस छंद रचना पर आपकी शुभकामनाओं के लिए हृदय से आभारी हूँ
रचना पर उत्साहवर्धक अनुमोदन के लिए हार्दिक आभार आ० मीना पाठक जी, आ० वंदना जी, आ० सुरेन्द्र शुक्ला जी, आ० नीरज कुमार नीर जी, आ० अभिनव अरुण जी.
आप सबकी शुभकामनाओं और प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद
सादर!
छंदबद्ध रचना पर उत्साहवर्धक अनुमोदन के लिए हार्दिक आभार आदरणीया अन्नपूर्णा बाजपेई जी
आदरणीय अखिलेश श्रीवास्तव जी
आपको यह रचना पसंद आई और आपने लेखन को मान दिया ..इस हेतु आपकी आभारी हूँ..
रचना की संप्रेषणीयता पाठकों तक यथा पहुँच सके तो रचनाकार लेखन के प्रति आश्वस्त होता है. आपकी सजग पाठकीयता के लिए धन्यवाद.
सादर
बहुत ही सुंदर रचना । छंद त्रिभंगी ना भी हो तो भी आपकी शब्दावली कुछ इस तरह की होती है जो बरबस अंतर को आंदोलित करती हैं पर इस आंदोलन में हाहाकार नहीं होता है एक मधुसिक्तता होती है जो कांत भाव से सबकुछ आच्छादित कर लेती है जैसे नुपूर की ध्वनि कभी दूर कभी पास से आती -जाती रहती हो, सादर
शुभ छंद त्रिभंगी, है सतरंगी, कुदरत वर्णन, श्रेष्ठ हुआ |
शुभ भाव अनोखे, अक्षर चोखे, शब्द संचयन, हृदय छुआ ||
शुभकामनायें आदरेया
रज कण-कण नर्तन, पग आलिंगन, धरती तृण-तृण, अर्श छुए
कर जुल्फें चंचल, फर-फर आँचल, मुक्त उऋण सी, पवन बहे........... बहुत सुन्दर रचना, बधाई आ० प्राची जी
बहुत ही सुन्दर रचना आदरणीया डॉ. साहिबा
आदरणीया
त्रिभंगी छन्द के लिए हार्दिक बधाई
जैसे ग़ज़ल की पोस्ट में मात्रा दर्शा दिया जाता है छन्द का मूल विधान भी दर्शाना चाहिए
साथ ही इसका हिन्दी भावार्थ भी प्रकाशित कीजिये जिससे इस उच्च स्तरीय रचना को नए आयाम से समझा जा सकते और आनंद बढ़े
सादर
बेहद सुंदर त्रिभंगी छंद शब्द संयोजन कमाल का .... बहुत -२ हार्दिक बधाई आपको आदरणीया प्राची जी
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