For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रहने दो - (रवि प्रकाश)

रहने दो
मुक्ता-माला
जटाजूट
चाहे दे दो।
बहने दो
यौवन-हाला
गरल-घूँट
चाहे दे दो॥
तुम रखना
मधुशालाएँ
कालकूट
मुझको देना।
तुम रचना
जयमालाएँ
भस्म-भूत
मुझको देना॥

पा लेना
आधार तुम्हीं
निराधार
चाहे दे दो।
गा लेना
गौरव-गाथा
व्यथा-भार
चाहे दे दो॥
चूर करो
मंज़िल मेरी
चकफेरी
फिर मुझको दो।
दूर करो
बंसी-वीणा
रणभेरी
फिर मुझको दो॥

थोड़े से
रोड़े पा कर
असंभाव्य
रच डालूँगा।
अपनी ही
पीड़ा गा कर
महाकाव्य
कर डालूँगा॥
कुछ तिनके
देना मुझको
महासिन्धु
तर डालूँगा।
दे देना
केवल शीर्षक
चरम बिंदु
कर डालूँगा॥

मौलिक व अप्रकाशित॥

Views: 760

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ravi Prakash on October 8, 2013 at 7:58pm
ज़र्रानवाज़ी के लिए शुक्रिया आ॰ गीतिका जी।
Comment by वेदिका on October 6, 2013 at 2:33pm

बहुत सशक्त रचना हुयी है|

आपकी रचना  महेश अनघ जी का नवगीत  'बटवारा कर दो ठाकुर' की याद दिला गयी|

Comment by Ravi Prakash on October 3, 2013 at 12:01pm
धन्यवाद आ॰ सौरभ जी।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 3, 2013 at 3:03am

बढिया प्रयास हुआ है,  भाई.

बधाई..

Comment by Ravi Prakash on October 2, 2013 at 9:04am
इतना स्नेह और आशीर्वाद देने के लिए सभी सुधी जनों का कोटिश: धन्यवाद । कृपया मार्गदर्शन करते रहें।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 1, 2013 at 4:11pm

आ० रवि प्रकाश जी 

पंक्ति पंक्ति , शब्द शब्द आत्मविश्वास से परिपूर्ण... बहुत सुन्दर कथ्य 

प्रवाह भी बहुत सुन्दर... सिर्फ एक बात ..यदि हर बंद में समतुकांतता निर्वाह हुआ होता तो अभिव्यक्ति नवगीत के शिल्प अनुरूप होती.

इस सुन्दर प्रस्तुति पर हार्दिक शुभकामनाएं 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on October 1, 2013 at 2:38pm

वाह वाह आदरणीय रवि जी वाह

सुन्दर प्रवाह से भरी शिल्प में कासी हुई रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें

वाह वाह वाह

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 1, 2013 at 1:14pm

आदरणीय रवि प्रकाश भाई बेहद सुन्दर सशक्त प्रवाहमयी रचना बधाई स्वीकारें.

Comment by विजय मिश्र on October 1, 2013 at 1:01pm
अपूर्व ,हूंकार प्रशंसा से परे .ईश्वर सबमें यही शीलता भरें , विश्व कल्याण का पथ प्रशस्त हो .रविजी ! आत्मीय अभिनन्दन और आभार भी .
Comment by Ravi Prakash on October 1, 2013 at 11:34am
सराहना तथा उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद गीत जी। आशीर्वाद बनाए रखें॥

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो"
4 hours ago
Aazi Tamaam commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"अच्छी रचना हुई आदरणीय बधाई हो"
4 hours ago
Aazi Tamaam commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो 3 बोझ भारी तले को सुधार की आवश्यकता है"
4 hours ago
Aazi Tamaam commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय इस बह्र पर हार्दिक बधाई"
4 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सुरेंद्र इंसान जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
4 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत शुक्रिया आदरणीय भंडारी जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
4 hours ago
surender insan commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई जी  छन्न पकैया (सारछंद) में आपने शानदार और सार्थक रचना की है। बहुत बहुत बधाई…"
6 hours ago
surender insan commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय आज़ी भाई आदाब। बहुत बढ़िया ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करे जी।"
6 hours ago
surender insan commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सौरभ जी सादर नमस्कार जी। ग़ज़ल पर आने के लिए और अपना कीमती वक़्त देने के लिए आपका बहुत बहुत…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई ,सुन्दर  , सार्थक  देश भक्ति  से पूर्ण सार छंद के लिए हार्दिक…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सुशिल भाई , अच्छी दोहा वली की रचना की है , हार्दिक बधाई "
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरनीय आजी भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है हार्दिक बधाई ग़ज़ल के लिए "
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service