संवेदनाओं के
अंतर गुन्जन पर
भाव लहरियों का
निःशब्दित नृत्य..
इस ओर से उस छोर
उस छोर से इस ओर
विलयित तटबन्ध..
लहर लहर मन
आनंदित 'नील सागर'
मौलिक और अप्रकाशित
Comment
अभिव्यक्ति पर सराहना कर प्रोत्साहित करने के लिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद लड़ीवाला जी
आदरणीय केवल प्रसाद जी
रचना पर शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद
रचना पर शुभकामनाओं के लिए आभार आ० विजय जी
प्रिय महिमा श्री जी
अभिव्यक्ति के साथ बहने के लिए आभारी हूँ
सस्नेह धन्यवाद
शब्दावली तो बड़ी रूचिकर लगी किंतु बहुत सारी बातें अस्पष्ट रहीं मेरे लिए यथा 'विलयित तटबन्ध'- किस तटबन्ध की ओर इशारा है जो विलयित हुआ ? दूसरे, 'नील सागर' शब्द वस्तुत: किस बात की ओर संकेत करता है । ईशारा अमूर्त की ओर है यह तो आपकी लगभग हर रचना में एक स्थायी भाव है किंतु उसके कितने ही आयाम आपने ही गढ़े हैं, अत: यहां आकर मैं तो फंस गया, मार्गदर्शन करें, सादर
गुंजन करती सम्वेदनाओं और नि:शब्द करते भावों ने मुग्ध कर दिया, हार्दिक बधाइयाँ.............
कोई संवेदनशील रचनाकार ही रच सकता है ऐसे प्रेम भाव की सुन्दर काव्यमय लघु शब्दों में पिरोकर | हार्दिक बधाई
स्वीकारे डॉ प्राची सिंह जी | सादर
आदरणीया प्राची जी! वाह..! अदभुत। गुरेजों में भी आनन्द के क्षण ढ़ूढ़ लेना वास्तव में भावातिरेक की पराकाष्ठा होती है। हृदयतल से ढेरों हार्दिक बधाइयां। सादर,
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