For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

संवेदनाओं के 

अंतर गुन्जन पर 

भाव लहरियों का 

निःशब्दित नृत्य..

इस ओर से उस छोर 

उस छोर से इस ओर

विलयित तटबन्ध..

लहर लहर मन 

आनंदित 'नील सागर'

मौलिक और अप्रकाशित 

Views: 1170

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 3, 2013 at 2:50pm

अभिव्यक्ति पर सराहना कर प्रोत्साहित करने के लिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद लड़ीवाला जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 3, 2013 at 2:48pm

आदरणीय केवल प्रसाद जी 

रचना पर शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 3, 2013 at 2:46pm

रचना पर शुभकामनाओं के लिए आभार आ० विजय जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 3, 2013 at 2:46pm

प्रिय महिमा श्री जी 

अभिव्यक्ति के साथ बहने के लिए आभारी हूँ 

सस्नेह धन्यवाद 

Comment by राजेश 'मृदु' on October 3, 2013 at 2:23pm

शब्‍दावली तो बड़ी रूचिकर लगी किंतु बहुत सारी बातें अस्‍पष्‍ट रहीं मेरे लिए यथा 'विलयित तटबन्‍ध'- किस तटबन्‍ध की ओर इशारा है जो विलयित हुआ ? दूसरे, 'नील सागर'  शब्‍द वस्‍तुत: किस बात की ओर संकेत करता है । ईशारा अमूर्त की ओर है यह तो आपकी लगभग हर रचना में एक स्‍थायी भाव है किंतु उसके कितने ही आयाम आपने ही गढ़े हैं, अत: यहां आकर मैं तो फंस गया, मार्गदर्शन करें, सादर

Comment by विजय मिश्र on October 3, 2013 at 2:22pm
भाव से बिभोर ,आनंद से ओत-प्रोत ,ऐसे बिहसते क्षण सबके जीवन में आए -- वाह !बहुत सुंदर . साधुवाद प्राचीजी ,
Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 3, 2013 at 1:58pm
आदरणीया इस बेहतरीन रचना पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें ..वाकई गागर में सागर ..सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on October 3, 2013 at 9:32am

गुंजन करती सम्वेदनाओं और नि:शब्द करते भावों ने मुग्ध कर दिया, हार्दिक बधाइयाँ.............

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 3, 2013 at 9:13am

कोई संवेदनशील रचनाकार ही रच सकता है ऐसे प्रेम भाव की सुन्दर काव्यमय लघु शब्दों में पिरोकर | हार्दिक बधाई 

स्वीकारे डॉ प्राची सिंह जी | सादर 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 3, 2013 at 8:51am

आदरणीया प्राची जी!   वाह..! अदभुत।   गुरेजों में भी आनन्द के क्षण ढ़ूढ़ लेना वास्तव में भावातिरेक की पराकाष्ठा होती है। हृदयतल से ढेरों हार्दिक बधाइयां।  सादर,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तितलियों पर अपने खूब पकड़ा है। इस पर मेरा ध्यान नहीं गया। "
18 minutes ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी नमस्कार बहुत- बहुत शुक्रिया आपका आपने वक़्त निकाला विशेष बधाई के लिए भी…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय शिज्जू भाई, बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने. शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल फरमाएं. सादर "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकार करें. सादर "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी, बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है. इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय नीलेश भाई, क्या ही खूब ग़ज़ल कही है. वाह. शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल फरमाएं. बाकी अभ्यास…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें. गुनीजनों की सलाह पर अवश्य…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"धन्यवाद आ. गुरप्रीत भाई. आपसे शिक़ायत यह है कि हमें आपकी ग़ज़लें पढ़ने को नहीं मिल रही…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. समर सर की इस्लाह से तक़ाबुल ए रदीफ़ दूर हो गया है.शेर अब यूँ पढ़ा जाए .कड़कना बर्क़ का चर्बा…"
3 hours ago
Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"वाह वाह वाह आदरणीय निलेश सर, बहुत समय बाद आपकी अपने अंदाज़ वाली ग़ज़ल पढ़ने को मिली। सारी ग़ज़ल…"
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. लक्ष्मण जी,वैसे तो आ. तिलकराज सर ने विस्तार से बातें लिखीं हैं फिर भी मैं थोड़ी गुस्ताखी करना…"
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service