सेमीनार में “कार्य स्थल पर यौन उत्पीड़न” विषय पर अपना भाषण देकर जब प्रिंसीपल साहिब स्टेज से उतरे तो सभी ओर तालियों की गड़गड़ाहट व वाहवाही गूंज रही थी, सभी लोग बारी-बारी प्रिंसीपल साहिब को बधाईयां दे रहे थे। इसी क्रम में जब एक जूनियर अध्यापिका ने प्रिंसीपल साहिब को बधाई दी तो उन्हे लगा जैसे किसी ने सरे-बाजार उन्हे नंगा कर दिया हो।
- मौलिक व अप्रकाशित
Comment
रवि प्रभाकर जी चंद शब्दों में आपने एक कुत्सित मानसिकता की कलई खोल दी ,बिना कहे बहुत कुछ कह गई लघु कथा ,अपना सन्देश देने में रचना पूर्णतः सक्षम है बहुत बहुत बधाई आपको
भाई रवि जी, आपकी लघुकथा पर सुधिजनो ने पहले ही बहुत कुछ कह दिया है, मैं तो केवल एक बात कहना चाहूँगा कि इस विधा को लेकर आपके सारे कॉन्सेप्ट्स बेहद क्रिस्टल क्लियर हैं. आपकी लघुकथा इस बात की साक्षी है, मेरी हार्दिक बधाई स्वीकारें.
वाह ...लाजबाब लघु कथा ..सादर बधाई के साथ
आदरणीय सर जी वाह बहुत ही बेहतरीन लघुकथा बिना पर्दा उठाये ही आपने पर्दे के पीछे रखी वस्तु दिखा दी. बहुत बहुत बधाई स्वीकारें.
हा,हा,हा,......बहुत सुन्दर! आपको हार्दिक बधाई!
हा..हा..... बेहद सुंदर लघुकथा है आदरणीय रवि जी... बधाई हो....
आईने में अपना चेहरा दिख गया प्रिंसिपल साहब को .......बहुत सुन्दर लघुकथा, बधाई आप को
एक अरसे बाद अपने अनुज रवि प्रभाकरजी को मंच पर देखना एक सुखद अनुभूति है. इस उपस्थिति पर मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ.
लघुकथा के लिहाज़ पर इस दमदार तरीके से भाई रविजी को कहते सुनना-पढ़ना रोमांचित कर गया. क्या लघुकथा की सटीक बानग़ी है ! जो कहा वो तो सबके सामने है. मग़र जो न कहा वो ज्यादा सामने है, कुरेदता हुआ.
कथ्य की कसावट और शब्दों के मितव्ययी प्रयोग के बावज़ूद तथ्यों का सटीक संप्रेषण लघुकथाओं का मूल गुण होता है. इस सैद्धांतिकता का इतना सुन्दर निर्वहन इस कथा को सार्थक कर गया है.
दिल से बधाई स्वीकारें, अनन्य अनुज रविजी.
और मंच पर मौज़ूदग़ी बनाये रखें.
शुभ-शुभ
आ0 रवि प्रभाकर जी इस सदेश युक्त लघु कथा हेतु बधाई आपको ।
अच्छी लघुकथा ... जो नहीं लिखा वह भी आसानी से समझ में आ रहा है ..अपने सन्देश के साथ इसके लिए विशेष बधाई आपको !!
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