For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सफ़र

ओ बी ओ के संग मेरा, सफ़र पुराना भाई,

जानते नहीं जो मुझे, जान लो क़रीब से।

धन औ दौलत से भी, बड़ी चीज़ पाई मैंने,

शारदे की कृपा मिली, मुझको नसीब से।

लेखन में रुचि मेरी, लेखन ही जान मेरी,

लेखन है प्रिय मुझे, अपने हबीब से।

जियूँ तो कलम हाथ, मरूँ तो कलम साथ,

मानना हे प्रभु यह, विनती ग़रीब से।

----------------------------------- सुशील जोशी

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 698

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by रविकर on October 5, 2013 at 6:04pm

शत प्रतिशत सहमत , आपसे हूँ बंधुवर
ओ बी ओ ने सिखाया है, हमें भी कविताई ||

शुभकामनायें आदरणीय

Comment by Sushil.Joshi on October 5, 2013 at 2:10pm

आपका हार्दिक आभार आदरणीय सचिन भाई जी...

Comment by Sushil.Joshi on October 5, 2013 at 2:10pm

मेरी कृति पर अपना आशीष बरसाने के लिए आपका अतिश: धन्यवाद आदरणीय गिरिराज भंडारी जी...

Comment by Sushil.Joshi on October 5, 2013 at 2:09pm

आपकी स्नहिल टिप्पणियाँ मेरा प्रोत्साहन हैं आदरणीया राजेश कुमारी जी.... सादर धन्यवाद

Comment by Sushil.Joshi on October 5, 2013 at 2:08pm

स्नेह के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आदरणीय सौरभ जी...

Comment by Sushil.Joshi on October 5, 2013 at 2:07pm

बहुत बहुत धन्यवाद आपका आदरणीया अन्नपूर्णा जी....

Comment by Sachin Dev on October 5, 2013 at 1:55pm

बहुत अच्छे से लेखन के प्रति अपनी रूचि को व्यक्त किया है आपने भाई सुशील जी .... बधाई ! 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 5, 2013 at 11:11am
आदरणीय सुशील भाई , इस रचना के बाद कौन आपको भूल सकेगा ?सुन्दर रचना के लिये बहुत बधाई !!!!!

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 5, 2013 at 10:59am

वाह्ह्ह्हह इससे बढ़िया परिचय और क्या होगा ,सादर |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 5, 2013 at 12:21am

वाह ! बहुत सुन्दर आत्म-परिचय बन पड़ा है, आदरणीय !

सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"उत्साहदायी शब्दों के लिए आभार आदरणीय गिरिराज जी"
27 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)
"बहुत बहुत आभार आदरणीय गिरिराज जी"
28 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आदरणीय अजयन  भाई , परिवर्तन के बाद ग़ज़ल अच्छी हो गयी है  , हार्दिक बधाईयाँ "
52 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)
"आदरणीय अजय भाई , अच्छी ग़ज़ल हुई है , हार्दिक बधाई ,  क्यों दोष किसी को देते हैं, क्यों नाम किसी…"
58 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. नीलेश भाई बेहद  कठिन रदीफ  पर आपंर अच्छी  ग़ज़ल कही है , दिली बधाईयाँ "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. नीलेश भाई , बेहतरीन ग़ज़ल हुई है ,सभी शेर एक से बढ कर एक हैं , हार्दिक बधाई ग़ज़ल के लिए "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )

१२२२    १२२२     १२२२      १२२मेरा घेरा ये बाहों का तेरा बन्धन नहीं हैइसे तू तोड़ के जाये मुझे अड़चन…See More
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं

मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं मगर पाण्डव हैं मुट्ठी भर, खड़े हैं. .हम इतनी बार जो गिर कर खड़े हैं…See More
6 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय posted a blog post

ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)

देखे जो एक दिन का भी जीना किसान का समझे तू कितना सख़्त है सीना किसान का मिट्टी नहीं अनाज उगलती है…See More
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. सौरभ सर,यह ग़ज़ल तरही ग़ज़ल के साथ ही हो गयी थी लेकिन एक ही रचना भेजने के नियम के चलते यहाँ…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। यह गजल भी बहुत सुंदर हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service