For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

​गजल: रक्खा है तेरे नाम के पन्ने को मोड़ कर//शकील जमशेदपुरी//

बह्र: 221 2121 1221 212

___________________________________


बिखरे हुए गुलाब की पत्ती को जोड़ कर
रक्खा है तेरे नाम के पन्ने को मोड़ कर

शबनम लगा दी फूल ने भवरे की गाल पे
भवरे ने रख दी गुल की कलाई मरोड़ कर

मुड़-मुड़ के जाते वक्त मुझे देख क्यों रही
जब प्यार ही नहीं तो चली जाओ छोड़ कर

उसने कही ये बात तो गम और बढ़ गया
खुश मैं भी अब नहीं हूं तेरे दिल को तोड़ कर

नफरत को इसलिए तू अखरने लगा ‘शकील’
रख दी गजल में तूने मुहब्बत निचोड़ कर

- शकील जमशेदपुरी

____________________________

*मौलिक एंव अप्रकाशित

Views: 936

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वीनस केसरी on October 21, 2013 at 1:06am

भवरे ने रख दी गुल की कलाई मरोड़ कर .... वाह क्या रवां दवां मिसरा हुआ है ... शानदार

उसने कही ये बात तो गम और बढ़ गया
खुश मैं भी अब नहीं हूं तेरे दिल को तोड़ कर ... बहुत खूब

नफरत को इसलिए तू अखरने लगा ‘शकील’
रख दी गजल में तूने मुहब्बत निचोड़ कर... वाह वा

बहुत खूब भाई मुकम्मल ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद

Comment by रामनाथ 'शोधार्थी' on October 19, 2013 at 3:42pm

बहुत ही बेहतरीन..ग़ज़ल..शकील साहब....ढेरों..दाद.....

शबनम लगा दी फूल ने भवरे की गाल पे
भवरे ने रख दी गुल की कलाई मरोड़ कर...........बहुत उम्दा तख़य्युल....!!!!

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on October 19, 2013 at 2:02pm

वाह वाह आदरणीय सभी अशआर अच्छे हुए हैं

दिली दाद क़ुबूल करें

जय हो

Comment by Neeraj Neer on October 19, 2013 at 8:49am

बिखरे हुए गुलाब की पत्ती को जोड़ कर
रक्खा है तेरे नाम के पन्ने को मोड़ कर.. वाह बहुत खूब 

Comment by Sushil.Joshi on October 19, 2013 at 7:38am

बिखरे हुए गुलाब की पत्ती को जोड़ कर
रक्खा है तेरे नाम के पन्ने को मोड़ कर....... क्या बात है शकील भाई..... बहुत अच्छे..... अब ज़रा उनका नाम भी बता दीजिए..... हा..हा..हा....... इस सुंदर गज़ल के लिए बधाई स्वीकारें.....

Comment by बृजेश नीरज on October 18, 2013 at 11:18pm

बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है! आपको हार्दिक बधाई!

अन्य सदस्यों की रचनायें भी पढ़ें और उन पर टिप्पणी करें! जिससे अन्य सदस्य भी आपके ज्ञान का लाभ उठा सकें!

सादर!

Comment by Pankaj Mishra on October 18, 2013 at 9:48pm

वाह बहुत खूब ....शकील जी ...

Comment by शकील समर on October 18, 2013 at 9:22pm

आदरणीय Nilesh ShevgaonkarNilesh Shevgaonkar और Nilesh Shevgaonkar जी। आप सबका आभार।

Comment by शकील समर on October 18, 2013 at 9:20pm

आदरणीय Saurabh Pandey जी
गजल पसंद आई, इसके लिए आपका का आभार।

'गाल' के लिंग भेद में गलती हो गई, जिसे सुधार लूंगा।

पुन: आभार।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on October 18, 2013 at 8:43pm

वाह , बहुत ख़ूब 
.
उसने कही ये बात तो गम और बढ़ गया
खुश मैं भी अब नहीं हूं तेरे दिल को तोड़ कर
वाह 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
9 hours ago
सतविन्द्र कुमार राणा posted a blog post

जमा है धुंध का बादल

  चला क्या आज दुनिया में बताने को वही आया जमा है धुंध का बादल हटाने को वही आयाजरा सोचो कभी झगड़े भला…See More
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
9 hours ago
आशीष यादव posted a blog post

जाने तुमको क्या क्या कहता

तेरी बात अगर छिड़ जातीजाने तुमको क्या क्या कहतासूरज चंदा तारे उपवनझील समंदर दरिया कहताकहता तेरे…See More
9 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
21 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . रोटी
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post एक बूँद
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है । हार्दिक बधाई।"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
Saturday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर "
Jan 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विरह
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Jan 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
Jan 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर ।  नव वर्ष की हार्दिक…"
Jan 2

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service