(दिगपाल छंद विधान:- यह छंद 24 मात्रायों का, जिसमें 12 -12 में यति के साथ चरण पूर्ण होता है)
तजि अधर्म,कर्म,सुधर्म कर,
गीता तुझे बताए I
हों शुद्ध,बुद्ध,प्रबुद्ध सब,
निज धर्म को न भुलाए I I
धर नव नीव स्वधर्म की,
शिव ही सत्य मानिए I
छोड़ सकल लोभ मोह,
ऒम ही सर्व जानिए I I
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
कवि देवेन्द्रजी, यह क्या कर रहे हैं आप ?
यदि आप रचनाकर्म के प्रति निश्चयी हैं तो सुनिये, कि, उत्साह मात्र छांदसिक रचनाकर्म को साधने का माध्यम और कारण होता तो सभी अनायास छंदबद्ध रचनायें करते.
मात्रिक छंदों की रचना के साथ एक बात और होती है जो पदों की मात्राओं की गणना के पहले होती है जिसे शब्द-संयोजन कहते हैं. यानि पद और चरणों में सम और विषम शब्दों का क्रमवार आना. आपकी पंक्तियाँ उसका अनुपालन तो नहीं ही करती हैं. आपने जो दिगपाल छंद के बारे में अपने संक्षिप्त विधान में लिखा है उसको भी आप मानते नहीं दीखते.
१२-१२ की यति आप कहते तो हैं लेकिन शायद आपको मालूम ही नहीं है कि इसका अर्थ होता क्या है. वर्ना तजि अधर्म,कर्म,सुधर्म कर या शुद्ध,बुद्ध,प्रबुद्ध सब, या निज धर्म को न भुलाए आदि चरणों की कुल कितनी मात्राएँ हो रही हैं, यह बात आपको स्पष्ट समझ में आ जाती.
आपका प्रयास सम्माननीय है. लेकिन आप अपने रचनाकर्म को गंभीरता से लें तो ही आपकी रचनाओं की प्रतिष्ठा होगी.
आदरणीया प्राचीजी ने बहुत कुछ स्पष्ट कहा है. उसके अनुसार छंद रचना करें, भाईजी.
शुभेच्छाएँ
आ० देवेन्द्र पाण्डेय जी
आपने दिगपाल छंद का जो विधान साझा किया है , आपकी प्रस्तुति मात्रिकता के लिहाज से उसका पालन नहीं करती
सनातनी छंदों में मात्रिकता के प्रति पूर्णतः संवेदन शील होना ही चाहिए.
दिगपाल छंद चार पदों का छंद है जिसमें प्रति पद १२, १२ पर यति होती है.
दो -दो पदों में समतुकांतता होती है
प्रत्येक चरण का अंत दो दीर्घ से किया जाता है.... इस छंद के विधान पर मेरी जानकारी इतनी ही है.
सुधि जानकार विस्तार से विधान को साझा करें ताकि दोहा और रूपमाला छन्द के काफी करीबी इस छंद के बारे में भी सबको जानकारी प्राप्त हो सके!
सादर
Adarniya Doctor Saab Mere Adhyayan Anusaar to Itna Hi Chhand Vidhaan hai Is Chhand, Magar Aapko Lag Rha hai to krapya Is Sandarbh mein Prakash Daalein Jisse Main Aswasth ho sakoon Sadarr.
जहाँ तक मेरा ज्ञान है बन्धु यह छन्द शास्त्रीय नहीं है कहाँ पढ़ा आपने और पूरा विधान भी कुछ स्पष्ट नहीं हुआ
Jee Adarniya Is chhand Ke Antargat 12 -12 mein yati ka vidhaan to nishchit hai parantu mere alpgyan anusaar lagu guru ka vichaar nhn kiya gaya hai
आपका सद्प्रयास रूचिकर लगा किंतु छंद विधान स्पष्ट समझ नहीं पाया, 24 मात्रा का विधान एवं 12-12 का क्रम तो समझ गया पर लघु-गुरु कहां हों या नहीं हों इसे भी स्पष्ट कर दें तो सुगमता होगी, सादर
Adarniya Ramesh Kumar Chauhan Jee Snehil Tippani,Pratikriya ke liye Aapka Bahut bahut Abhaar
Adarniya Laxman Prasad Ladiwala Sir Aapka Hardik Abhaar
तजि अधर्म,कर्म,सुधर्म कर,
गीता तुझे बताए I ---------------------बहुत ही सुंदर भाईजी बहुत बहुत बधाई
अधर्म को त्याग कर "सत्यम शिवम् सुन्दरम" अपनाने का आह्वान करती सुन्दर रचना के लिए बधाई
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