अब तक तो सभी घरों मे रंग रोगन होकर नए तरीके से सभी के घर भी सज चुके है । जिन घरों मे रंग रोगन नहीं हुआ है वहाँ साफ सफाई होकर सज सज्जा के साथ घरों को लक्ष्मी जी के आगमन हेतु तैयार कर लिया गया है । इस दिवाली लक्ष्मी जी सभी के घरों को खुशियों से भर दें । सभी के मनों मे प्रेम, सौहार्द्य एवं सच्चाई का उजाला भर दें ।कहा जाता है कि दीपावली कि रात्री मे विष्णु प्रिया श्री लक्ष्मी सदगृहस्थों के घर मे प्रवेश कर यह देखती है कि हमारे निवास योग्य घर कौन से है ? और जहां कहीं भी उन्हे निवास की अनुकूलता दिखाई देती है , वह वहीं रम जाती हैं । अतएव आज के दिन मनुष्यों को अपना घर ऐसा बनाना चाहिए जो भगवती लक्ष्मी के मनोनुकूल हो । इसलिए मानुषों मे यह होड रहती है कि किसका घर देवी लक्ष्मी के अनुकूल बने और लक्ष्मी वहीं आ पधारें और वहाँ से अन्यत्र कहीं जाने का भी नाम न लें । भगवती लक्ष्मी की प्रिय वस्तुओं को जुटा कर पूजन करना चाहिए । उनको सबसे अधिक प्रिय है स्वच्छ घर और प्रसन्न वातावरण , इसके अभाव मे वे प्रभु श्री विष्णु का भी परित्याग कर देती है । एक बार देवी रुक्मिणी के द्वारा उनसे पूछने पर कि हे देवि ! आप किन स्थानों पर रहती है और किन पर कृपा कर उन्हे अनुगृहीत करती है ? तब स्वयम देवी जी उन्हे यह बताती है :-
* वसामि नित्यं सुभगे प्रगल्ल्भे
दक्षे नरे कर्मणि वर्तमाने ।
अक्रोधने देवपरे कृतज्ञे
जितेंद्रिय नित्यमुदीर्णसत्त्वे ॥ 1॥
स्वधर्मशीलेषु च धर्मवित्सु
वृद्धोपसेवानिरते च दान्ते ।
कृतात्मनि क्षांतिपरे समर्थे
क्षान्तासु दान्तसु तथा बलासु ॥ 2 ॥
वसामि नारीसु पतिव्रतासु
कल्याणशीलाषु विभूषितासु ॥ 3 ॥ ( * तीनों श्लोक महाभारत से उद्धृत )
अर्थात मै उन पौरुषों के घरों मे सतत निवास करती हूँ जो सौभाग्य शाली , निर्भीक , सच्चरित्र , कर्त्तव्य पारायण है । जो अक्रोधी , भक्त , कृतज्ञ , जितेंद्रिय , सत्व सम्पन्न होते है , जो स्वभावतः निज धर्म , कर्तव्य, सदाचार मे सतर्कता पूर्वक रत रहते है सपुरुषों , गुरुजनों , वृद्ध जनो की सेवा मे निरत रहते है । जो सदा मन को वश मे रखने वाले क्षमा शील , जिनको देख सभी का हृदय प्रसन्न हो जाता है । जो शीलवती , सौभाग्यवती , गुणवती , पतिपरायणा , सबका मंगल चाहने वाली नारियां है उन सबका गृह त्याग कर कभी नहीं जाती ।इसके विपरीत होने पर मै उस स्थान पर कभी नहीं टिकती जहां इन गुणों का अभाव रहता है । इस लिए इस दीपावली श्री लक्ष्मी माँ किसी का भी घर त्याग कर या कुपित होकर न जाएँ , सभी के मनों मे व घरों मे चिर निवास बनाएँ । इस अभिलाषा के साथ मै यहाँ विराम देती हूँ ।
अप्रकाशित एवं मौलिक
अन्नपूर्णा बाजपेई
Comment
आदरनीय शिजू जी , आ0 अभिनव अरुण जी , आ0 लड़ी वाला जी , आ0 अरुण निगम जी , आ0 रमेश जी आप सभी को दीपावली की शुभ कामनाएँ ।
आदरणीया दीपपर्व पर हार्दिक शुभकामना
दीप पर्व पर उत्तम आलेख ने ह्रदय में पावनता भर दी...............
शुभ दीपावली...........
स्वच्छता और प्रसन्नता के साथ ही कर्तव्यपरायणता का सन्देश देती रचना के लिए बधाई
उत्तम रोचक ज्ञानवर्धक आलेख ! दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें आ. अन्नपूर्णा जी !!
आदरणीया अन्नपूर्णाजी आपको भी दीपावली की ढेर सारी शुभकामनायें
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