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मृत्यु सुंदरी ब्याह करोगी ? ( अरुण कुमार निगम)

मृत्यु सुंदरी ब्याह करोगी ?

गीत मेरे सुन वाह करोगी ?

सुख- दु:ख की आपाधापी ने, रात-दिवस है खूब छकाया  

जीवन के संग रहा खेलता , प्रणय निवेदन कर ना पाया

क्या जीवन से डाह करोगी ?

कब आया अपनी इच्छा से,फिर जाने का क्या मनचीता

काल-चक्र  कब  मेरे बस में , कौन  भला है इससे जीता

अब मुझसे क्या चाह करोगी ?

श्वेत श्याम रतनार दृगों में , श्वेत पुतलियाँ  हैं एकाकी  

काले कुंतल  श्वेत हो गए , सिर्फ झुर्रियाँ तन पर बाकी

क्या इनको फिर स्याह करोगी ?

आते-जाते जल-घट घूँघट , कब पनघट ने प्यास बुझाई

स्वप्न-पुष्प की झरी पाँखुरी, मरघट ही अंतिम सच्चाई  

अंतिम क्षण, निर्वाह करोगी ?

अरुण कुमार निगम

आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)

[मौलिक व अप्रकाशित]

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Comment by वेदिका on November 12, 2013 at 1:04pm

श्वेत श्याम रतनार दृगों में , श्वेत पुतलियाँ  हैं एकाकी  

काले कुंतल  श्वेत हो गए , सिर्फ झुर्रियाँ तन पर बाकी

क्या इनको फिर स्याह करोगी ?

अति सुंदर गीत प्रस्तुत किया है आपने| सच्चाई से भरा संवाद, मुग्ध हूँ बहुत|

बहुत बहुत बधाई स्वीकारिए आ0 अरुण जी!

सादर !! 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 12, 2013 at 12:03pm

मृत्यु सुंदरी ब्याह करोगी ?

ऐसी निडरता.....ऐसा मधुर अनन्य प्रेम.....  स्वीकार्यता ..वाह! 

इस उन्नत रचना पर निःशब्द हूँ आदरणीय अरुण जी 

बहुत बहुत बधाई स्वीकारें 

सादर.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 12, 2013 at 11:48am

श्वेत  वस्त्र पहनाकर  मुझको  जग ने कितने  फूल चढ़ाये 

लकड़ी चन्दन  धूप  शर्करा शत शत घृत घट  से नहलाये

क्या तुम मेरा दाह करोगी  I  

 

जवाब नहीं अरुण जी  , वेल  डन  I

 

Comment by Satyanarayan Singh on November 12, 2013 at 10:39am

आ, अरुण निगम जी सादर,

      अति सुन्दर, जीवन का सम्यक निरूपण इस गीत के माध्यम से हुआ है.  बहुत बहुत बधाई आदरणीय ........................................  

Comment by Sarita Bhatia on November 12, 2013 at 10:25am

वाह वाह गुरुदेव 

क्या जीवन की सच्चाई बताई है इस गीत के माध्यम से 

कृपया ध्यान दे...

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