अपनी क्रिकेट टीम के क्या कहने क्या ठाट
सचिन विरासत दे गए रोहित शिखर विराट /
सचिन आम इन्सान से, बने आज भगवान
तुम हो भारत देश की, आन बान औ' शान /
बोल खेल को अलविदा,चौबीस साल बाद
पाए आशीर्वाद हैं , सदा रहो आबाद /
पाकर भारत रत्न को, तूने पाया मान
आज सलाम तुझे करें,क्रिकेटर तू महान /
विश्वभर के क्रिकेट का, सचिन है धूमकेतु
पीढ़ियों को जोड़ सचिन बना मजबूत सेतु /
एक दिवसीय मैच में ,दोहरा शतक ठोक
विपक्षी हर जुबान पे,सचिन लगाई रोक /
दीवाना वो देश का ,लिए इरादे नेक
बड़े हों गेंदबाज तो भी घुटने दें टेक /
ब्लास्टर कोई कहे ,कहीं कहें भगवान
सच्चा सौदा है किया,बने नेक इन्सान/
................................................
..........मौलिक व अप्रकाशित............
Comment
आदरणीया सरिता जी सचिन को समर्पित सुन्दर दोहे रचे हैं इस हेतु बधाई स्वीकारें बाकी सब कुछ कह दिया गया है ध्यान दें.
कौन कहता है सचिन को भारत रत्न मिला .... गौर कीजिए ... भारत रत्न को सचिन मिला है ..---वाह्ह्ह नीलेश जी ये हुई न बात
आप के दोहों में मात्रिक त्रुटी हो सकती है जो आप निश्चित ही सुधार भी लेंगी लेकिन आप के भाव एकदम सही है .... ये सचिन ही है जो आम मनुष्य को कविता, दोहे आदि रचने पर मजबूर कर देतें है.... आज से पहले किसी खिलाड़ी पर दोहे नहीं रचे गए है .... गावस्कर पर कैरेबीयन में "काल्लिप्सो" गाया जाता है.
अखंड जी ने पता नहीं कौन से विश्व कप देखें है... अपनी पिता की मृत्यु से अगले मैच में शतक (1999), सर्वाधिक रन (1996 और 2003) खैर ..ये अलग मुदा है .... और इस पर बहस करना आप की रचना की तौहीन होगी... आप को साधुवाद जो भावनाओं को कलम दी आपने .....
रही बात भारत रत्न की .... तो कौन कहता है सचिन को भारत रत्न मिला .... गौर कीजिए ... भारत रत्न को सचिन मिला है ..
शुभ भाव
बोला क्रिकेट को अलविदा ,चौबीस साल बाद
मिल रहे आशीर्वाद हैं , सदा रहो आबाद / -----सच में सरिता जी ये दोहा बहुत सुधार मांग रहा है क्रिकेट शब्द जगण भी है जो विषम चरण के प्रारम्भ में वर्जित है और मात्राएँ भी गड़बड़ है
विपक्षियों की जुबाँ पे-----विषम चरण का अंत गलत हो रहा है
कुछ सुधार के बाद दोहे निखर जायेंगे ,शुभकामनायें
सरिता जी सावधान i
दोहे में माँत्राए गिनी जाती है i
यदि आप मात्रा पर ध्यान देती
तो दोहे बहुत खूबसूरत होते i शुभ कामनाये i
//बोला क्रिकेट को अलविदा ,चौबीस साल बाद
मिल रहे आशीर्वाद हैं , सदा रहो आबाद ///
आदरणीया एक बार मात्राएँ जांच लें, क्या सचमुच दोहा ही है ?
आदरणीया आपकी कविता पर इतना ही कहूँगा
जैसे इन्सान होते हैं वैसे ही उनके भगवान होते हैं
सचिन एक महान खिलाड़ी हैं यहाँ तो ठीक है
पर भगवान् महा निरअहंकारी होता है
आपने देखा होगा छोटे छोटे बच्चे ऐसे पत्थर इकट्ठे
करते हैं जैसे हीरे जोड़ रहे हों ऐसे हम किस किस
को न बना दें भगवान् ।
बहुत बहुत बधाई आपको इस रचना के लिए ।
आप पूरे लेख में देख ले आदरणीये मैने सचिन के प्रतिभा के बारे में कही बात नहीं किया है केवल विश्व कपों में उनके प्रदर्शन का जिक्र किया है उनके योगदान के आधार पर भारत की विजय की बात किया जिसका प्रमाण है मेरे पास आदरणीय मगर जो लेाग उनको भगवान और सर्वोच्य मानते है ये गलत है वह भी खिलाडी है और भी हैं अन्तर बस इतना है जैसे हम नये और पूर्ण अनुभव हीन है इस मंच पर आप हम से पुराने है और आप से कोई और पुराना आदरणीये गोपाल नारायण जी, नीरज जी यह तो क्रम है और सबसे योग्य है वह हमें सीखाते है हम सीखते है पर इस मंच पर सब रचनाकार है इस लिये भगवान और खुदा मानना मेरे हिसाब से गलत है आरणीये आपसे बहस बाजी कर रहे है इस गुस्ताखी को माफ करीयेगा
आदरणीय गहमरी जी सचिन को भारत रत्न देने का समर्थन मैं भी नही करता लेकिन सचिन की महानता पर मैं कोई सवाल भी नही उठा रहा, उनको पारिश्रमिक मिलता था तो इसमें गलत क्या है, सचिन को भारत रत्न क्यों नहीं मिलना चाहिये इसके और भी कारण हैं जिसका उल्लेख आप कई बार कर चुके हैं, विवाद सचिन की प्रतिभा पे नही होना चाहिये,
आदरणीया सरिता जी सुन्दर प्रस्तुति हार्दिक बधाई आपको। ……
कई जगह गेयता बाधित है और एक बात आपकी इन पन्तियों से मै सहमत नहीं हूँ ////
///सचिन आम इन्सान से, बने आज भगवान ///// कृपा कर अन्यथा न लें … सादर
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