For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सुनो उससे कहना...

ठंड आ गई है ...

जरा मेरे अहसासों को

धूप दिखा दें ....

और ख्यालों को भी

सूखा दें ...

ठंड आ गई है ...

रिश्तों की गर्माहट

बहुत जरूरी है ...

गुलाबी मौसम की तरह ...

जिंदगी भी हँसेगी ...

ठंड आ गए है...

जरा अहसासों को धूप दिखा दो... 

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 625

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Amod Kumar Srivastava on December 8, 2013 at 10:39am

आ0 अन्नपूर्णा जी, आ0 प्राची सिंह जी, आ0 सौरभ पांडे जी, आ0 विजय मिश्रा जी, आ0 आशुतोष मिश्रा जी, आ0 मीना जी, आ0 जितेंद्र जी, आ0 शिज्जु शक्कर जी, आ0 गोपाल नारायण जी, आ0 गिरिराज जी, आप सभी का तहे दिल से आभार.... 

Comment by annapurna bajpai on November 27, 2013 at 10:05pm

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति , बधाई आपको । 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 27, 2013 at 4:56pm

रिश्तों की गर्माहट

बहुत जरूरी है ...

गुलाबी मौसम की तरह ...

जिंदगी भी हँसेगी .............

सुन्दर भावाभिव्यक्ति 

हार्दिक शुभकामनाएं 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 27, 2013 at 3:55pm

अपने आप से हुए संवाद सी यह कविता भली लगी. निरत रहें.

शुभेच्छाएँ.

Comment by विजय मिश्र on November 26, 2013 at 5:30pm
थोड़ा में बहुत - ठंढ आ गई है . सुंदर अमोदजी बधाई .
Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 26, 2013 at 2:23pm

बेहतरीन भावों से सुसज्जित पंक्तियाँ ..सादर 

Comment by Meena Pathak on November 26, 2013 at 2:03pm

ठंड आ गए है...

जरा अहसासों को धूप दिखा दो... // बहुत बढ़िया | बधाई आप को आदरणीय 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 26, 2013 at 7:40am

सुंदर रचना पर बधाई स्वीकारें, आदरणीय आमोद जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on November 25, 2013 at 10:21pm

बहुत बढ़िया अहसास है और इसे आपने खूबसूरती से पेश किया बधाई आपको

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 25, 2013 at 12:34pm

मित्र

आपके भाव अच्छे है  i

कुछ  पंकितया और होती तो मजा आ जाता i

शुभकामनाये i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service