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ग़ज़ल-- जख़्म किसने दिया, बता दूं क्या?

जख़्म किसने दिया बता दूँ क्या ?

दिल में चाकू कहो  घुमा दूं क्या ?

हुक़्म पे तेरे चलता हूं आका ,

ये वफ़ादारियाँ  निभा  दूँ क्या  ?

देखता हूं जिसे मैं सपनों में,

उसकी तस्वीर भी दिखा दूँ क्या  ?

आपकी राजनीति कहती है 

बस्तियाँ आपकी जला दूं क्या  ?

अब किसी काम ही नहीं आता,

आग संविधान में लगा दूँ क्या?

       sube singh sujan

यह रचना मौलिक तथा अप्रकाशित है।

Views: 631

Comment

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Comment by बसंत नेमा on November 30, 2013 at 3:48pm

आ0   सुजान भाई जी .क्या कहने बहुत खूब 

अब किसी काम ही नहीं आता,

आग संविधान में लगा दूँ क्या?

शानदार प्रस्तुति के लिये ढेरो बधाईया ...................


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Comment by गिरिराज भंडारी on November 30, 2013 at 3:19pm

आदरणीय सुजान भाई , लाजवाब गज़ल के लिये आपको दिली बधाई !!!!!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 30, 2013 at 9:54am

आपकी राजनीति कहती है 

बस्तियाँ आपकी जला दूं क्या  ?...........बहुत खूब,

शानदार गजल, बधाई स्वीकारें आदरणीय सूबे सिंह जी

Comment by वेदिका on November 30, 2013 at 7:54am

बहर लिख देने से हम जैसे नवसीखिये का भला हो जाता है!

रचना पर हार्दिक बधाई!

Comment by सूबे सिंह सुजान on November 29, 2013 at 7:52pm

dr. gopal narayan shirivastava ji....aapko parnam.....aapki bat se sahmat hun...lekin ghazal apne tevar men bat kar rhi hai>>

Comment by सूबे सिंह सुजान on November 29, 2013 at 7:51pm

Sushil Sarna  ji, behad shukriya  aapka vandan.....aabhar

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 29, 2013 at 7:48pm

सुजान जी

अरे नहीं ---- बंधुवर

चाकू सुरक्षित रखिये i बाद में काम  आएगा i

बस ग़ज़ल लिखते रहिये i शुभ कामनाये i

Comment by Sushil Sarna on November 29, 2013 at 7:17pm

ati sundr

Comment by सूबे सिंह सुजान on November 29, 2013 at 3:26pm

Shyam Narain Verma.. जी, आपका स्वागत है। आपकी प्रतिक्रिया प्राप्त हुई । हृदय से आभार। स्वीकारें

Comment by Shyam Narain Verma on November 29, 2013 at 11:58am
बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ………………

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