For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"क्या? आपने धूम्रपान छोड़ दिया? ये तो आपने कमाल ही कर दिया।"
"आखिर इतनी पुरानी आदत को एकदम से छोड़ देना कोई मामूली बात तो नहीं।"
"सही कहा आपने, ये तो कभी सिगरेट बुझने ही नही देते थे।"
"जो भी है, इनकी दृढ इच्छा शक्ति की दाद देनी होगी।"
"इस आदत को छुड़वाने का श्रेय आखिर किस को जाता है?"
"भाभी को?"  
"गुरु जी को?"
"नहीं, मेरी रिटायरमेंट को।"उसने ठंडी सांस लेते हुए उत्तर दिया।
.
.
(मौलिक व अप्रकाशित) 

Views: 1908

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on December 4, 2013 at 10:24am

आपने बिलकुल सही फ़रमाया, रिटायरमेंट के बाद जीवन की दिशा और दशा बदल ही जाया करती है. रचना पसंद करने के लिए बेहद शुकरगुज़ार हूँ आ० अखिलिश कृष्ण श्रीवास्तव जी.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 3, 2013 at 11:41pm

बेहतरीन सर एक और कामयाब रचना बधाई आपको

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on December 3, 2013 at 10:53pm

आर्थिक रूप से पगडंडी पर आ जाता है सेवानिवृति पश्चात हर व्यक्ति जहाँ पर सम्भल कर चलना जरूरी हो जाता है। क्रिकेट की भाषा में कहें तो उन्मुक्त होकर चौके छक्के लगाने वाला सेवानिवृति पश्चात  एक - एक रन सोच समझकर लेता है । और उस पर महंगाई डायन खाये जात है ..... हम जैसे लाखों लोगों की हालत बयाँ करती इस लघु कथा की हार्दिक बधाई योगराज भाई। 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 3, 2013 at 5:34pm

लघु कथा में यथार्थ सच्चाई के साथ जो सेवानिवृति पर मज़बूरी में भाव दशा हो जाती है, उसका बखूबी दर्शन हुआ है |

गहरे भाव लिए लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय श्री योगराज भाई जी |


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on December 3, 2013 at 5:25pm

आ० डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी,   
आपने बिलकुल सही फ़रमाया। मैंने देखा है कि पिता ने रिटायरमेंट के पैसों से बेटों को गाड़ियां तक ले दीं, मगर खुद रिटायर्ड बाप का स्कूटर पेट्रोल को तरस गया. बाप ने रिटायरमेंट पर बच्चों के लिए ब्रह्म-भोज का आयोजन तक किया मगर खुद रोटी को तरस गया. लक्ज़री ब्रांड सिगरेट पीने वाला रिटायरमेंट के बाद बीड़ी तक जा पहुंचा। खैर, आपको रचना में वास्तविकता की झलक दिखी यह जान कर अतयंत हर्ष हुआ, सादर धन्यवाद स्वीकार करें। 


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on December 3, 2013 at 5:19pm

आप रचना की रूह तक पहुंची हैं प्रिय गीतिका जी, वाक़ई तंगी बड़े बड़े शौक छुड़वा देती है. रचना के मर्म तक पहुँचने के लिए दिल से शुक्रिया।

Comment by वेदिका on December 3, 2013 at 5:07pm

जो आदतें जीवन संगिनी के अनुरोध पर नही हटा सकते, गुरु के समझाइश उपदेश लगने लगते है, वहीं आदत तंगी के चलते खुद ही छूट के न जाने गिर जाती है| कमाल है रिटायरमेंट का!

ज़िंदगी के आखिरी पड़ाव पर सुधार!! चलो दुरुस्त हुआ| 

बहुत बहुत बधाई आ० योगराज जी! आपके गहन अध्ययन को कोटि कोटि नमन !! 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 3, 2013 at 4:55pm

आदरणीय  प्रणाम i

       मै भी पा'च महीने पहले रिटायर हुआ हूँ i  आपका कथ्य मेरी अनुभूति के सुदृढ़ अधिकरण पर टिका हुआ है  i  मान्यवर परिवार को इससे कोई मतलब नहीं कि आप रिटायर हो चुके है i  वही खर्चे i वही मांगे i  बड़े होने  की स्वाभाविक यातना i तो  फिर भोक्ता अपने ही खर्चे घटायेगा i  मान्यवर आपकी लघु  कथा हमाँरी वृहद यातना कथा का सटीक एवं जीवंत निरूपण है i 

      आपको  कोटि -कोटि बधाई i सादर i


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on December 3, 2013 at 3:52pm

आपकी उत्साह वर्धक टिप्प्णी का दिल की गहराई से शुक्रिया आ० विजय मिश्र जी.  


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on December 3, 2013 at 3:51pm

रचना को मान देने के लिए ह्रदय तल से आपका आभारी हूँ आ० मीना पाठक जी.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी रचना का संशोधित स्वरूप सुगढ़ है, आदरणीय अखिलेश भाईजी.  अलबत्ता, घुस पैठ किये फिर बस…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, आपकी प्रस्तुतियों से आयोजन के चित्रों का मर्म तार्किक रूप से उभर आता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"//न के स्थान पर ना के प्रयोग त्याग दें तो बेहतर होगा//  आदरणीय अशोक भाईजी, यह एक ऐसा तर्क है…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, आपकी रचना का स्वागत है.  आपकी रचना की पंक्तियों पर आदरणीय अशोक…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी प्रस्तुति का स्वागत है. प्रवास पर हूँ, अतः आपकी रचना पर आने में विलम्ब…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद    [ संशोधित  रचना ] +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुसार सुंदर छंद हुए हैं और चुनाव के साथ घुसपैठ की समस्या पर…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी चुनाव का अवसर है और बूथ के सामने कतार लगी है मानकर आपने सुंदर रचना की…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक धन्यवाद , छंद की प्रशंसा और सुझाव के लिए। वाक्य विन्यास और गेयता की…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service