२१२२/२१२२/२१२
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जब कि हर इक फ़ैसला मंज़ूर है,
फिर भी वो कहता हमें मगरूर है.
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दोष है फ़ितरत का, ज़ख्मों का नहीं,
ज़ख्म जो प्यारा है वो नासूर है.
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ख़ासियत कुछ भी नहीं उसमे, फ़क़त,
वो मेरा क़ातिल है सो मशहूर है.
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नब्ज़ मेरी थम गयी तो क्या हुआ,
जान मुझ में आज भी भरपूर है.
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जिस्म है बाक़ी हमारे दरमियाँ,
पास है, लेकिन अभी हम दूर है.
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बात अब उनसे मुहब्बत की न कर,
लोग समझेंगे, नशे में चूर है.
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बर्फ़ से रिश्ते हुए इस दौर में,
दिल सुलगता सा कोई तंदूर है.
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दिल से पढ़, ये आँख के बस की नहीं,
“नूर” की ये भी ग़ज़ल पुरनूर है.
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मौलिक व अप्रकाशित
निलेश 'नूर'
Comment
ख़ासियत कुछ भी नहीं उसमे, फ़क़त,
वो मेरा क़ातिल है सो मशहूर है.
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नब्ज़ मेरी थम गयी तो क्या हुआ,
जान मुझ में आज भी भरपूर है.
बर्फ़ से रिश्ते हुए इस दौर में,
दिल सुलगता सा कोई तंदूर है.
-----बहुत खूब नीलेश जी , शानदार ग़ज़ल हुई है हर शेर लाजवाब , मेहनत रंग लायी है , बहुत बधाई !!
ख़ासियत कुछ भी नहीं उसमे, फ़क़त,
वो मेरा क़ातिल है सो मशहूर है. !! क्या बात कही है, वाह !!
बात अब उनसे मुहब्बत की न कर,
लोग समझेंगे, नशे में चूर है. !! वाह !!
बढ़िया ग़ज़ल भाई निलेश जी !!
आ0 नीलेश जी इस सुंदर गजल रचना हेतु बहुत बधाई आपको ।
बहुत बढ़िया ग़ज़ल
वाह वाह आदरणीय निलेश लाजवाब अशआर हुए बेहद उम्दा ग़ज़ल कही है आपने दिल खुश हो गया ढेरों दिली दाद कुबूल फरमाएं.
आदरणीय नीलेश भाई , लाजवाब गज़ल कही है , बधाइयाँ ॥
जिस्म है बाक़ी हमारे दरमियाँ,
पास है, लेकिन अभी हम दूर है. ----- बेहतरीन शे र के लिये बधाई ॥
दिल से पढ़, ये आँख के बस की नहीं,
“नूर” की ये भी ग़ज़ल पुरनूर है.
वाकई आदरणीय सहमत हैं
निलेश भाई
गज़ल पसन्द आयी..मतला पसंद आया
ख़ासियत कुछ भी नहीं उसमे, फ़क़त,
वो मेरा क़ातिल है सो मशहूर है.
दिल से पढ़, ये आँख के बस की नहीं,
“नूर” की ये भी ग़ज़ल पुरनूर है....aadarneey is behtareen ghazal ke sabhee sheron ko maine dil se hee padha hai..aaur dil ne kaha hai ki ye sab lajabab hai.n saadar badhaaaayee
मेरे पसंद के अशआर
ख़ासियत कुछ भी नहीं उसमे, फ़क़त,
वो मेरा क़ातिल है सो मशहूर है.......कमाल की बात है
बात अब उनसे मुहब्बत की न कर,
लोग समझेंगे, नशे में चूर है.....वाह
दिल से पढ़, ये आँख के बस की नहीं,
“नूर” की ये भी ग़ज़ल पुरनूर है........साहब , ग़ज़ल तो दिल से निकल दिल तक पहुंचे ..वही कामयाब है !...बहुत बढ़िया ग़ज़ल
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