- शशि पुरवार
(मौलिक और अप्रकाशित)
Comment
आदरणीया प्राचीजी, इन विन्दुओं पर अवश्य चर्चा होनी चाहिये. शशिजी और हम सभी के साथ-साथ इस विधा पर लिखने वाले अन्य रचनाकारों को भी लाभ होगा.
सादर
आ० शशि पुरवार जी ,
यह रचना नवगीत नहीं है...नवगीत के शिल्प पर कई रचनाओं में काफी बारीकी से चर्चा हुई है..
क्या मुख्य पंक्ति हर बंद के बाद दोहराई जा सकती है..
मुखड़ा किस मात्रिकता पर लिया गया है...
क्या बंद मात्रिकता का निर्वहन करते हैं..या प्रवाह और अंतर्गेयता के लिए कुछ आतंरिक व्यस्था रखी गयी है..
क्या सार्थक बिम्ब समाहित किये गए हैं..
नवगीत किसी स्थिति का प्रस्तुतीकरण मात्र न होकर अपनी सोच/चिंतन को सकारात्मकता के साथ समाविष्ट करते हुए नयी दिशा भी दिखाता है...
आदरणीया इन कुछ बिन्दुओं पर आप इस अभिव्यक्ति को पुनः देख जाइए... फिर चर्चा को आगे बढाते हैं
सादर.
नमस्ते सौरभ जी , बहुत दिनों से आपकी प्रतीक्षा कर रही थी कि कब आप आये और चर्चा आरम्भ हो , पर आप आये और चुपके से अदृश्य तीर चलाकर चले गए , बरहाल हम समझ गए और जानते भी है , फिर भी हम चाहते है कि आप इस बारे में विस्तृत खुलकर , तकनिकी पक्ष पर आये , और इंगित करे किन बन्दों में क्या कमी है … व्यंग मिश्रित यह रचना एक नया प्रयोग किया है। वैसे हर रचना पर आपकी प्रतीक्षा रहती है , हमारा यह मंच बारीकियों को खुल कर चर्चा करके ही दूर करता है। आपका आना सार्थक चर्चा को जन्म देता है पर चुप रह जाना। … :)
सादर
, वंदना जी , गिरिराज जी , सत्येन्द्र जी , कोणती जी , मीना जी , अनुपम जी , अविनाश जी , गोपाल जी , आप सभी मित्रो का तहे दिल से आभार
आदरणीया शशि पुरवारजी, आपकी यह रचना कितना कविता है और कितना नवगीत, इसपर एक सार्थक बहस होनी चाहिये थी, जो देख रहा हूँ, नहीं हुई है. कारण कुछ भी रहा हो, नवगीत पर एक सार्थक बहस का अच्छा मौका इस मंच के उन सदस्यों ने गवाँ दिया है, जो नवगीत पर तमाम प्रश्न लिये बिना उत्तर के बैठे हैं.
सादर
आ. शशि पुरवार जी नव वर्ष के उपलक्ष्य में इस नव गीत के माध्यम से सुन्दर प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई
बहुत सुंदर रचना.शुभकामनाएँ
सच कहा आपने अपने नवगीत के माध्यम से सुंदर प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बधाई आ0 शशि जी ।
आ० शशि जी बहुत बहुत बधाई सुन्दर नवगीत हेतु | सादर बधाई
शशि पुरवारजी :सुन्दर नव गीत,नूतन वर्ष में...
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