Comment
kabhi kabhi hi aise navgeet sunne aur padne ko milte hai ....dhanya hua hoo mai
par .....संवादों में--यहाँ-वहाँ की/ , मौसम, नारे..निभते हैं / टेबुल-मैनर में रिश्ते सारे रौशनदानी / कहाँ कभी एसी-कमरों में ?/ बिजली गुल है,खिड़की-पल्ले तनिक हटाना
/.. नये साल की धूप तनिक तुम लेते आना.. .
kuch bhav samajh nahi paya ......"""mausam nare nibh......""" ........."table manner me ....""""
ka kya artha hai yahan .....badi kripa hogi apki ...............
mai bhi yahi kahoonga ......."इतने शब्द नहीं हैं मेरे पास इन पंक्तियों की तारीफ में बस वाह्ह्ह्हह्ह्ह .." is liye hindi me comment udhar le raha hoo
माननीय सौरभ जी आपका नवगीत बहुत सुन्दर भाव लिए हुए है हार्दिक बधाई आपको
एक सवाल मन में उठा है , सुन्दर। शिल्प। भाव। सभी है शानदार नवगीत
एक भ्रम दूर कीजिये ....... मात्रा गिनने पर हमें समझ नहीं आया कहाँ जोड़े और कहाँ नहीं , मात्रिक बंद की पंक्तिया हमें अलग अलग लगी , सामान्यतः पक्तियों के अनुसार हम गिन लेते है मार्गदर्शन प्रदान करें , माननीय।
आदरणीय सौरभ जी -- आपके द्वारा प्रस्तुत नवगीत हृदय को छू गया।
आँखों के गमलों में
गेंदे आने को हैं
नये साल की धूप तनिक
तुम लेते आना.. .
कितना सुंदर और प्रभावशाली आरम्भ है .... आँखों के गमलों में … भावों को कितनी मासूमियत से आपने शब्दों में ढाला है … वाह बहुत खूब
ये आये तब
प्रीत पलों में जब करवट है
धुआँ भरा है अहसासों में
गुम आहट है
फिर भी देखो
एक झिझकती कोशिश तो की !
भले अधिक मत खुलना
तुम, पर
कुछ सुन जाना.. .
नये साल की धूप तनिक
तुम लेते आना.. .
अंतर्मन के छुपे भावों को कागज़ पर उतारना आसान नहीं .... निशब्द हूँ सर
संवादों में--
यहाँ-वहाँ की, मौसम, नारे..
निभते हैं
टेबुल-मैनर में रिश्ते सारे
रौशनदानी
कहाँ कभी एसी-कमरों में ?
बिजली गुल है,
खिड़की-पल्ले तनिक हटाना.. .
नये साल की धूप तनिक
तुम लेते आना.. .
वर्त्तमान जीवन शैली पर गहरा कटाक्ष - वाह अति अति सुंदर -सर क्षमा सहित इसी क्रम में -
तरस गयी है धूप
देखने को आँगन का रूप -
दीवारें ही दीवारें हैं
मेरा सिमट गया है रूप
अच्छा कहना
बुरी तुम्हें क्या बात लगी थी
अपने हिस्से
बोलो फिर क्यों ओस जमी थी ?
आँखों को तुम
और मुखर कर नम कर देना
इसी बहाने होंठ हिलें तो
सब कह जाना..
नये साल की धूप तनिक
तुम लेते आना.. .
रचना का ये भाग भावुकता की ओस में भीगा है …
सम्पूर्ण रचना में शब्द चयन, अलंकारिक प्रभाव और भावुकता समेटे प्रवाह पाठक को अंत तक बांधे रखता है। इस दिलकश सृजन की प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई -
सादर वंदे
अच्छा कहना
बुरी तुम्हें क्या बात लगी थी
अपने हिस्से
बोलो फिर क्यों ओस जमी थी ?
आँखों को तुम
और मुखर कर नम कर देना
इसी बहाने होंठ हिलें तो
सब कह जाना..
नये साल की धूप तनिक
तुम लेते आना.. .आदरणीय सौरभ सर ..नव बर्ष से पहले शानदार नव गीत ..इसके तकनीकी पक्ष के बिषय में कोई जानकारी नही है .भाव कठिन लगे ..इस गंभीर नव गीत के लिए हार्दिक बधाई ..आदरणीय सर नव गीत के बिषय में कोई लिंक हो तो कृपा कर दीजियेगा ..इसकी शिल्प समझने में सहायता होगी ..सादर प्रणाम के साथ
ये आये तब
प्रीत पलों में जब करवट है
धुआँ भरा है अहसासों में
गुम आहट है
फिर भी देखो
एक झिझकती कोशिश तो की !
भले अधिक मत खुलना
तुम, पर
कुछ सुन जाना.. .
नये साल की धूप तनिक
तुम लेते आना.. .
आदरणीय सौरभ जी, आपकी रचना पढ़कर नए साल के आगमन की खुशी झलकने लगी है।
नई आशाएँ भी जन्म लेने लगी हैं ।
सुंदर गीत के लिए कोटिशः बधाई ...
आँखों के गमलों में
गेंदे आने को हैं
नये साल की धूप तनिक
तुम लेते आना.. .---------इतने शब्द नहीं हैं मेरे पास इन पंक्तियों की तारीफ में बस वाह्ह्ह्हह्ह्ह ..
रहने के आधुनिक सुख साधनों के बीच उस मासूम पावन धूप के लिए तरसता जीवन ----वाह बहुत कुछ कहता ये बंद
नए साल की धूप के बिम्ब के माध्यम से गिले शिकवे दूर करना ---वाह
बार बार पढने को प्रेरित करता अति सुन्दर अतिसुन्दर नवगीत.
बहुत- बहुत बधाई आदरणीय सौरभ जी इस रचना के लिए और नव वर्ष की धूप के लिए भी.
इंतजार था नये साल का, अब न चलेगा बहाना।
नये वर्ष के स्वागत में,सूर्योदय से पहले आना ....... (अब कैसा शरमाना) ॥
नये साल के स्वागत गीत की हार्दिक बधाई सौरभ भाई॥
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online