बह्रे रमल मुसद्दस महज़ूफ़
2122/ 2122/ 212
जाँ तेरी ऐसे बचा ली जाएगी;
हर तमन्ना मार डाली जाएगी; ।।1।।
बंदरों के हाथ में है उस्तरा,
अब विरासत यूँ सँभाली जाएगी;।।2।।
इक नज़ूमी कह रहा है शर्तियः,
दिन मनव्वर रात काली जाएगी;।।3।।
जब सियासत ठान ली तो जान लो,
हर जगह इज़्ज़त उछाली जाएगी;।।4।।
कर के वादा तू मुकरता है तो सुन,
आज तेरी बात टाली जाएगी;।।5।।
मैं नहीं आता अगर होती ख़बर,
दास्ताँ कोई फिर बना ली जाएगी;।।6।।
हश्र देखा इश्क़ का जो, हमसे अब,
प्यार की हसरत न पाली जाएगी;।।7।।
मुख़्लिसी-ज़िंदादिली क़ाइम रहे,
यार दौलत फिर कमा ली जाएगी;।।8।।
ज़िंदगी आएगी कब तू घर मेरे,
जल्द तुझसे इंतिक़ा ली जाएगी;।।9।।
गर न हारो हौसला तो तैशुदा,
हर मुसीबत पार पा ली जाएगी;।।10।।
चुप रहा 'वाहिद अगर महफ़िल में कल,
नज़्म उसकी गुनगुना ली जाएगी;।।11।।
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वाहिद काशीवासी {11012014}
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नज़ूमी=ज्योतिषी; मनव्वर=उजला; मुख़्लिसी=निश्छलता; इंतिक़ा=स्वीकृति
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मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
बहुत खूब। ……हर्दिक बधाई आपको
आदरणीय संदीप जी बेमिसाल ग़ज़ल है हरेक शेर बढ़िया हैl खुसूसन इन अशआर पे खास दाद कुबूल फरमायें
जाँ तेरी ऐसे बचा ली जाएगी;
हर तमन्ना मार डाली जाएगी;
जब सियासत ठान ली तो जान लो,
हर जगह इज़्ज़त उछाली जाएगी;
मोहतरम यदि आप की आगया हो तो आप की यह ग़ज़ल हम अपने साप्ताहिक समाचार पत्र में प्रकाशित करें ! बहुत उम्दः ग़ज़ल है
संदीप वाहिदभाई, आपकी ग़ाल सामने है और लग रहा है अरसे बाद इससे मिल रहा हूँ. बहुत दिल से आपने कही है.
इन् अश’आर पर तो बार-बार दाद है -
बंदरों के हाथ में है उस्तरा,
अब विरासत यूँ सँभाली जाएगी;
इक नज़ूमी कह रहा है शर्तियः,
दिन मनव्वर रात काली जाएगी;
ज़िंदगी आएगी कब तू घर मेरे,
जल्द तुझसे इंतिक़ा ली जाएगी
इस मिसरे को एक दफ़ा फिर देख लें -
दास्ताँ कोई फिर बना ली जाएगी.......... फिर गलती से मिसरे में रह गया है.
जब सियासत ठान ली तो जान लो,
हर जगह इज़्ज़त उछाली जाएगी;
हश्र देखा इश्क़ का जो, हमसे अब,
प्यार की हसरत न पाली जाएगी;।।7।।
मुख़्लिसी-ज़िंदादिली क़ाइम रहे,
यार दौलत फिर कमा ली जाएगी;।।8।।
गर न हारो हौसला तो तैशुदा,
हर मुसीबत पार पा ली जाएगी...... शानदार ... जिंदाबाद हर अश'आर आदरणीय संदीप जी .. बहुत अंतराल् बाद हार्दिक बधाईयाँ सादर
बहुत सुन्दर गज़ल .. बधाई
वाह वाह सर जी बेहतरीन ग़ज़ल है।
इस भाव पूर्ण गजल के लिए बधाई आपको । |
चुप रहा 'वाहिद अगर महफ़िल में कल,
नज़्म उसकी गुनगुना ली जाएगी;।--------बेशक गुनगुनाई जायेगी | सभी अश'आर उम्दा | हार्दिक बधाई
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