क़दमों में दे बहकी थिरकन
महकी नम सी चंचल सिहरन
बाँहों भर ले, रच कर साजिश
क्या सखि साजन? न सखि बारिश
हर पल उसने साथ निभाया
संग चले बन कर हम साया
रंग रसिक नें उमर लजाई
क्या सखि साजन? न सखि डाई
चाहे मीठे चाहे खारे
राज़ पता हैं उसको सारे
खोल न डाले राज़, हाय री !
क्या सखि साजन? न सखि डायरी
उसने सारे बंध सँजोए
अंक समेटे प्रेम पिरोए
ज़िंदा है यादों से हरदम
क्या सखि साजन? न सखि एल्बम
आँसू देखे, झट गल जाए
रख लूँ उसको नयन बसाए
रूप निखारे कंचन कंचन
क्या सखि साजन? न सखि अंजन
(मौलिक और अप्रकाशित)
Comment
बहुत सुन्दर और रोचक कह-मुकरिया रची है | हार्दिक बधाई डॉ प्राची बहिन ही
बहुत सुन्दर बहुत बहुत शुभकामनाएं
बहुत ही प्यारी कह मुकरिया आदरणीया प्राची जी हार्दिक बधाई आपको....... सादर
अद्भुत !
हार्दिक बधाई !!
चाहे मीठे चाहे खारे
राज़ पता हैं उसको सारे
खोल न डाले राज़, हाय री !
क्या सखि साजन? न सखि डायरी ........... एक से एक सुन्दर कह - मुकरी है . पर मुझे - डायरी - वाली ज्यादा पसंद आई .
कह मुकरियों पर आपकी सराहना के लिए आभारी हूँ आ० सुरेन्द्र भ्रमर जी , आ० नादिर खान जी , आ० माहेश्वरी कनेरी जी, आ० अजीत शर्मा जी
बहुत खूब !!! सभी कह-मुकरियाँ उम्दा, सुगढ़, मन भावन, लाजवाब, एक से बढकर एक, श्रेष्ठ ......बहुत सुंदर, बहुत खूबसूरत आ0 प्राची जी! शानदार, सार्थक प्रस्तुति...... हार्दिक बधाई !!!
मन भावन कह-मुकरियाँ ... ...बधाई
आदरणीया डॉ प्राची जी बहुत ही उम्दा, सरस, मनमोहक कह-मुकरियाँ ...
बहुत बधाई आपको ।
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