For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तेलंगाना पे भिड़े, अपनी मुट्ठी तान।

अपने भारत देश की, लगी दाँव पे आन।।

 

कोई तोड़े काँच को, पत्र लिया जो छीन।

आगे पीछे भैंस के, बजा रहे हैं बीन।।

 

मिर्चें लेकर हाथ में, करे आँख में वार।

मानवता इस हाल पे, अश्रु बहाये चार।।

 

हिस्सा जाता देख कर, हुये क्रोध से लाल।

बरसीं गंदी गालियाँ, ये संसद का हाल।।

 

चढ़ा करेला नीम पर, अपनी छाती ठोक।

शक्ति संग सत्ता मिली, रोक सके तो रोक।।

 

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 689

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 26, 2014 at 3:34pm

तेलंगाना पे भिड़े, अपनी भृकुटी तान।
अपने हिन्दुस्तान की, लगी दाँव पे आन।।
:-))
वैसे, भृकुटि सही शब्द है.
अपने हिन्दुस्तान की .. इस चरण को कृपया फिर से देखिये

कोई तोड़े काँच को, पत्र लिया जो छीन।
आगे पीछे भैंस के, बजा रहे हैं बीन।।
हा हा हा हा.. बहुत खूब !

मिर्चें निकाल हाथ में, करे आँख में वार।
मानवता इस हाल पे, अश्रु बहाये चार।।
बढिया... ’निकाल’ जगण (१२१) है जो दोहा के विषम चरण में अमान्य है. लेकिन शब्द-संयोजन के प्रवाह में कलों के सम बन जाने के कारण वह चरण दोष रहित है. वैसे, इस ओर सचेत रहा करें.
 
बँटवारे की बात पे, हुये क्रोध से लाल।
बरसीं गंदी गालियाँ, ये संसद का हाल।।
यह दोहा बहुत कुछ कहता हुआ है, भाईजी. वैसे, बँटवारे शब्द को अधिक व्यापक क्यों न बनायें जो कि आपके दोहे का मंतव्य भी है.

चुन के आये देखिये, कैसे-कैसे लोग।
इनके मन में खोट है, ये समाज के रोग।।
हम्म्म.. बात तो सही है. मगर दोहा सपाटबयानी नहीं हो गया है.

भाई शिज्जूजी, छंदों पर विशेषकर दोहों पर आपकी कोशिश मुग्ध करती है. बहुत-बहुत बधाई भाई.


एक बात:
छंदों में पे को पर ही लिखा जाय.

पुनः बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 10, 2014 at 9:08am

मेरी रचना को मान देने के लिये मैं आप सभी का तहेदिल से शुक्रिया अदा करता हूँ। स्नेह यूँ ही बनाये रखें।
सादर,

Comment by मनोज कुमार सिंह 'मयंक' on March 6, 2014 at 10:58pm

बहुत ही सुंदर आदरणीय शिज्जू भाई..

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 6, 2014 at 9:50pm

बेहद शर्मसार करते विषय पर, बहुत सुंदर दोहावली . हार्दिक बधाई आपको

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 6, 2014 at 9:07pm

आ0 शिज्जू  भार्इ जी,  बहुत सुन्दर दोहावली---!   हार्दिक बधार्इ स्वीकारें।  सादर,

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 5, 2014 at 4:38pm

चुन के आये देखिये, कैसे-कैसे लोग।

इनके मन में खोट है, ये समाज के रोग।।

किसने चुना. क्या आपका प्रत्याशी श्रेष्ठ था ?

यदि हाँ यो ठीक वर्ना इस बार गलती न हो, 

वोट जरूर करियेगा सादरबधाई 

Comment by Sarita Bhatia on March 5, 2014 at 4:34pm

अपने संसद के लिए लगी दाँव पे आन 

शिज्जू भाई देख लो मेरा हिन्द महान /


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 5, 2014 at 3:55pm

आदरणीय शिज्जू भाई , दोहा वली की बहुत सुन्दर रचना हुई है ॥

शिज्जू भाई आपके , दोहे हुये कमाल

सुन्दर शिल्प निभा गये , सुन्दर रहा खयाल ।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 5, 2014 at 3:01pm

आदरणीय शिज्जू जी ..बेहद घृणित कृत्य को बहुत ही सुंदर तरीके से पेश किया है आपने आपको सादर बधाई के साथ 

Comment by Vivek Jha on March 5, 2014 at 1:18pm

चुन के आये देखिये, कैसे-कैसे लोग।

इनके मन में खोट है, ये समाज के रोग।……… जबरदस्त दोहा है 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
13 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service