रमीला ने बगल मे बैठी अपनी पड़ोसन से कहा , "तुम्हें पता है खन्ना साहब के बेटे के साथ अल्का की बेटी का चक्कर चल रहा है और तो और कई बार वह रातों को भी घर नहीं आती , मैडम कहती है कि लेट नाइट स्टडीज़ के चलते वह हास्टल मे ही रुक जाती है , बेटी ने कालेज मे ही हास्टल ले रखा है । अरे यहाँ तो किसी को ये जानने की भी फुर्सत नहीं है कि बेटी कहाँ जाती है । "
रमीला ने आगे कहा," और आज जिस खुशी मे पूजा रखवाई है बेटे की नौकरी के लिए , वह पता है मेरे पति ने सिफ़ारिश करके लगवाई है वरना इनका बेटा तो आपने देखा ही है हमेशा घूमता रहता है और पढ़ा लिखा भी कोई खास नहीं है बस किसी तरह ले दे कर पास करवाया है भाई साहब ने , ये बड़ा दम भरती फिरती है मेरे बच्चे हीरे है, यकीन न हो तो मिसेज शर्मा से पूछ लीजिये । क्यों मिसेज शर्मा ! बताइये मै सही कह रही हूँ न । मेरे बच्चे देखिये क्या मजाल है जो मेरी आँख का इशारा न समझें । मै तो मार ही डालूँ । " उसकी पड़ोसन बदले मे मुस्कुरा दी ।
थोड़ी देर बाद रमीला का आवारा टाइप बेटा मुंह मे पान दबाये घर की चाभी मांगने आया - " माँ चाभी मुझे दो घर की !! तुम यहाँ बैठी भजन कीर्तन करो । "
उन्होने कुछ कहना चाहा इससे पहले वह बोला ," देती हो या जाऊँ मै अपने दोस्त के घर कल; आऊँगा । बार बार फोन करके डिस्टर्ब मत करना प्लीज़ । "
आगे पंडित जी भगवान सत्य नारायण की कथा सुना रहे थे , " एक राजा मोरध्वज हुआ जिसकी इच्छा से उनके पुत्र ने अपना आधा अंग आरे से चिरवा कर प्रभु को प्रसन्न किया । "
अप्रकाशित एवं मौलिक
Comment
कथ्य सराहनीय
आदरणीय बधाई, सादर
यही तो विडंबना है , हम खुद को नही देखते दूसरों मे दोष ढूंडते रहते हैं .. सुन्दर कथा ..बधाई आप को
वाह बड़ी दमदार कथा है....समाज का एक महत्वपूर्ण आइना. अन्नपूर्णा जी,हार्दिक बधाई.
सत्य नारायण की कथा में.. औरतों की बातचीत वो भी दूसरों की घरों में अनावश्यक ताकना झांकना और अपने बच्चों के बारे में बढ़ चढ़ कर बताना... बहुत सी बातें एक साथ साँझा हुई हैं
लघुकथा का ताना बाना सुन्दर है ...पर अनावश्यक डिटेल्स से बचा जा सकता था लघुकथा में अभी और कसे जाने की काफी गुंजाइश है... सुधिजन लघुकथा विशेषज्ञों की राय भी अवश्य ही लेकर सुधार कर लीजिये.
शुभकामनाएं
अच्छा संदेश देती लघुकथा के लिए बधाई, आदरणीया।
कहन की छुअन जानदार है ! सलीके से कड़ी कड़ी जुडती हुई रचना ..एक सन्देश देने में कामयाब रही ! बधाई स्वीकार करें अन्नपूर्णा जी ! सादर प्रणाम !
बहुत बढ़िया विषय पर अपनी रचना साझा की आपने आदरणीया अन्नपूर्णा दीदी, घर बैठे ही लोग अपने-अपने बच्चों की तुलना हीरों से कर देते है जबकि असल में...., बहुत बहुत बधाई आपको
बहुत सही लिखा आज कल यही हाल है लोगों का..
आदरणीया अन्नपूर्णा जी , सब मे कुछ न कुछ कमजोरियाँ होतीं है , बिना जाने बूझे दूसरो की कमिया नही गिनवानी चाहिये , ॥ स्न्दर लघुकथा के लिये आपको बधाइयाँ ॥
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