For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दोहे (प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा )

गुणीजनों की शान में, हाज़िर दोहे पाँच
मिले ज्ञान जो छंद का, कभी न आए आँच

करें ब्रह्म का ध्यान हम, पीटें नहीं लकीर
भेदभाव सब छोड़ दें, रंग-जाति तकदीर

सबसे पहले हम जगें, जागे फिर संसार
करें कर्म अपने सभी, सुमिरें पवन कुमार

मज़ा सवाया और है, मज़ा अढ़ाई और
मज़ा मिले तब आम का, घने लगे जब बौर

कन्या पूजन वे करें, राखें उनकी लाज
होती अम्बे की कृपा, बनते सारे काज

वाणी कबिरा की भली, प्रेम राह जग जोत
ग्रंथ किनारे धर भजे, ज्ञानवान वह होत


प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा
मौलिक /अप्रकाशित
१९.०४.२०१४

Views: 947

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 2, 2014 at 3:35pm

सादर आभार आदरणीय


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 2, 2014 at 12:57am

शिल्प और कहन से समृद्ध इन छन्दों के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय प्रदीप भाईजी.

सादर

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 1, 2014 at 12:00pm

आदरणीया प्राची जी 

सादर 

ये प्रयास  आपके  प्रयास पर हुआ शुरू 

दोहा विधा है कहाँ बतादे कोई गुरु 

आपकी प्रेरणा से सीखना शुरू किया है. 

आभार 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 30, 2014 at 5:31pm

दोहों पर बहुत खूबसूरत प्रयास आदरणीय प्रदीप कुमार कुशवाहा जी 

सभी दोहे पसंद आये ...बहुत बहुत बधाई 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 23, 2014 at 2:46pm

स्नेही श्री अरुन जी 

आप जैसे गुनी लोगों को पढ़ कर लिखने का प्रयास किया है 

प्रोत्साहन हेतु आभार 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 23, 2014 at 2:44pm

आदरणीय श्री लड़ीवाला जी 

सादर 

प्रयास है देखिये आगे क्या होता है. कोशिश जारी रहेगी 

प्रोत्साहन हेतु आभार 

Comment by अरुन 'अनन्त' on April 21, 2014 at 12:02pm

वाह आदरणीय प्रदीप सर बहुत ही उत्तम दोहावली रची है आपने एक एक दोहा अपने आप में सम्पूर्ण है दोहों पर आपने अत्यधिक श्रम किया है इतने सुन्दर कसावट भरे दोहे पढ़कर आनंद आ गया.

वाह मधुर दोहावली, रची बहुत श्रीमान ।

दिए सुखद संदेश हैं, और दिया है ज्ञान ।।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 21, 2014 at 10:01am

पहली बार दोहों पर हाथ आजमाते अच्छा लगा, भाई श्री प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा ही | इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 20, 2014 at 10:19pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी 

सादर 

आभार प्रोत्साहन हेतु. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 20, 2014 at 9:14pm

वैसे तो सभी दोहे शानदार बने हैं ,पर ये तो बहुत ही ज्यादा पसंद आया 

मज़ा सवाया और है, मज़ा अढ़ाई और 
मज़ा मिले तब आम का, घने लगे जब बौर

आपकी रचना बहुत दिन बाद पढ़ रही हूँ ,वो भी छंदों में वाह्ह्ह ,बहुत बहुत बधाई आदरणीय प्रदीप जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत बहुत शुक्रिय: आदरणीय Richa ji"
8 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत बहुत शुक्रिय: आदरणीय लक्ष्मण जी"
9 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत बहुत शुक्रिय: आदरणीय दिनेश जी "
10 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत बहुत शुक्रिय: आदरणीय संजय शुक्ला जी "
11 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत बहुत शुक्रिय: आदरणीय ज़ैफ़ भाई "
11 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"    शिकस्त-ए-नारवा     ------------------ रिवाज के विरुद्ध काम, शायरी का एक ऐब…"
38 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय Dayaram Methani जी आदाब ग़ज़ल के प्रयास पर बधाई स्वीकार करें  ग़ज़ल — 212 1222…"
41 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब आज़ी तमाम साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया। भाई-चारा का…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी, ऐसा करना मुनासिब होगा। "
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service