आज सामाजिकता और नैतिकता का किस कदर पतन हो गया है कि देख कर दुःख होता है | आज कल आप कान लगा कर सुनिए कुछ कराहें सुनाई देंगी जो बेटों की माओं की हैं | मुंह में कपड़ा ठूंस कर कराह रहीं हैं, छुप कर आँसू बहा रहीं हैं क्यों की उन्हें डर है कि किसी ने उन्हें रोते या कराहते देख लिया तो उसका गलत अर्थ निकालेंगे और वो उपहास के पात्र बन जायेंगे | आज बेटे बाले डरे सहमे से हैं और ये वो मध्यमवर्गीय माता पिता हैं जिन्होंने अपने बेटों को बड़े संघर्ष से पढाया लिखाया है | एक नही कई ऐसे परिवार मै देख रही हूँ जहाँ बेटों के जॉब में आते ही उन्हें प्रेम हो जाता है और इस प्रेम का रंग इतना गहरा है कि जन्म का प्रेम फीका पड़ जा जाता है फिर माता-पिता रो कर करें या हँस कर दोनों का विवाह करना ही पड़ रहा है अगर जरा भी ना नुकुर किया तो लड़के सब को पीछे छोड़ कर शादी कर लेते हैं और इसमें लड़की पक्ष का पूरा सहयोग होता है |
मेरे घर के पास ही एक मध्यमवर्गीय हंसता खेलता परिवार रहता है दो बेटे हैं बड़े बेटे की नौकरी लगते ही उसने शादी कर ली और जहाँ पोस्टिंग थी वहीं पत्नी को ले कर रहने लगा लड़के के माता पिता को कुछ नही पता था पर लड़की वालों का खूब आना जाना था, वो सब जानते थे | इधर लड़के वालों ने अपने बेटे की शादी तय कर दी पर जब बाद में पता चला तब लड़के वाले छाती पीटते रह गये फिर उन्होंने वही शादी छोटे बेटे से की |
पड़ोस में ही एक दूसरे परिवार की बेटी पढ़ने के लिए पुणे गई और उसे वहीं प्रेम हो गया वो लड़का पंजाबी है और थल सेना में अच्छे पोस्ट पर कार्यरत है ये जान कर लड़की वाले खुश हो गये कि ऐसा लड़का कहाँ मिलेगा, अब वो लड़का लड़की वालों के घर आता जाता है और उसकी खूब खातिर होती है लड़के वालों को कुछ नही पता, लड़की को पूरी छूट है उसके साथ घूमने फिरने की, लडके के पंजाबी होने से भी कोई ऐतराज नही |
एक और गरीब परिवार जिसने बड़ी मुश्किल से बेटे को पढाया | यहाँ तक कि जब बेटे को दूसरे शहर परीक्षा देने जाना था तब उन्होंने कर्ज ले कर उसके टिकट का इंतजाम किया था और जब बेटा सलेक्ट हो गया तब उसकी माँ खुशी से मेरे गले लग कर रो पड़ी थी | मुझे भी बहुत खुशी हुई थी पर कुछ दिन बाद पता चला कि उसने शादी कर ली है और उसे ले कर वहीं रह भी रहा हैं | माँ के पैरों तले जमीन ही खिसक गई मै मिलने गई तो मुझसे लिपट कर फूट फूट कर रो पड़ी | मैंने बहुत समझाया बाद में मुझे पता चला कि उस लड़की से उसका पहले से अफेयर था पर लड़की वालों ने लडके की माँ को फोन कर के ढेरों बाते सुनाया था ( तब लडके की नौकरी नही लगी थी ) और कहा था कि "अपने बेटे को समझा दो नही तो टाँगे तोड़ दी जायेंगी |” बाद में लडके की नौकरी लगते ही लड़की को पूरी छूट दे दी गई और लडके को दिग्भ्रमित कर के लड़की वालों ने आर्यसमाज से शादी करा दी और बेटे वालों को कुछ पता नही चला | शादी के दो वर्ष बाद पता चला इस दौरान लड़की वालों का बेटे के सरकारी आवास पर खूब आना जाना था | अब बेटे वाला क्या करे, दुनिया भर से मुंह मोड़ा जा सकता पर अपनी संतान से कब तक मुंह मोड़ सकते हैं माता पिता |
हम सभी सामजिक प्राणी हैं, समाज में जो हो रहा है उसे देख,सुन् और महसूस कर रहे हैं पर ये ऐसी समस्या है कि इस पर कोई भी बोलना नही चाहता है क्यों कि सारे नियम, क़ानून.हक,अधिकार, सुनवाई लड़की और लड़की वालों के पास है | वो कुछ भी कर दें सब मान्य है , कुछ भी झूठ बोल कर लड़के वालो को फंसाने का पूरा पावर है उनके पास जिससे लडके वाले डरे हुए रहते हैं |
मैंने जो देखा उसकी तस्वीर आप सब के सामने रखी है , मै नही जानती कि सही क्या है और गलत क्या पर मेरे मन में एक सवाल जरूर है "जो लोग अच्छे नौकरी वाले लडको के साथ अपनी बेटी को प्रेम करने की पूरी आजादी दे देते हैं और लड़के वालों के ना कहने पर भी अपनी बेटियों की शादी उस लडके से करा देते हैं क्या वो लड़का बेरोजगार हो तो भी वो अपनी बेटियों को प्रेम करने की छूट देंगे या लड़के के माता पिता की मर्जी के बिना अपनी बेटी की शादी करायेगें ? आखिर प्रेम तो प्रेम होता है ना चाहे लड़का नौकरी वाला हो या बेरोजगार |
मै मानती हूँ कि इसमें बेटों की भी बहुत गलती है पर उन्हें बढ़ावा देने वालों को क्या कहेंगे हम ?
बेटों के माता पिता कलेजे पर पत्थर रख कर स्वीकार कर रहे हैं क्यों कि वो कुछ भी कहते हैं तो लड़की वालों का एक ही आरोप कि वो दहेज के लोभी हैं |
एक बात और , मेरे शब्दों को कोई भी अन्यथा ना ले कुछ दबी सिसकियाँ मुझे आहत कर रहीं थीं सो मैंने लिख दिया , मै किसी की भावनाओं को ठेस नही पहुंचाना चाहती पर जो कुछ भी मैंने अपने आस-पास महसूस किया आप तक पहुंचाया है |
मीना पाठक
मौलिक / अप्रकाशित
Comment
पूरी तरह से सहमत हूँ आप से आदरणीया राजेश कुमारी जी पर थोड़ा समय तो देना ही चाहिए बच्चों को अपने माता पिता को ...
सराहना हेतु सादर आभार स्वीकारें
आज के समय में न तो लड़की वाले और न ही लड़के वाले कम पड़ते है, रही बात कानून कायदों की उन्हें तो मजाक में लेते है.अपना भविष्य सभी को देखना चाहिए सारे इंसान रिश्ते नातों को अपेक्षाओं के आंकलन पर तौलते है. लड़के वाले सोचते है एक ऐसी बहु लेकर आयें जो दिनभर घर का काम काज संभाले, बच्चे पैदा करे, बेटे को सारी सेवायें दे. इसी स्वार्थ से गाँव की या छोटे कस्बों की लड़कियों को खोजते है, चाहे वो लड़के के लायक हो या नही. लड़की वाले भी आजकल सरकारी नौकरी या जमीन जायदाद वालों को ढूढ़ते है जिससे उनकी लड़की का भविष्य सुरक्षित रहे. मैं अपने विचार रखते हुए यही कहूँगा की शादी के साथ दो परिवारों का भी रिश्ता जुड़ता है जो आने वाले सुख दुःख में एक दुसरे की मदद करे.
आज के समाज की एक बहुत बड़ी समस्या को आपने अपने आलेख द्वारा साझा किया है, हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीया मीना दीदी
कोई कानून या नियम बनता है तो उसका दुरूपयोग तो होता ही है। प्रस्तुत घटना में ग़लती बेटे की है उसे कृतघ्न नहीं होना चाहिये था, माँ का प्यार वो समझ नहीं सका। आपने सही कहा है आजकल बेटों वाले डरने लगे हैं उन्हें झूठ बोलकर फँसाया भी जा सकता है।
इस मार्मिक विषय पर सार्थक बातें कहीं है बहुत बहुत बधाई आपको
सामाजिक मान्यताएं नीतियाँ अपना वजूद खो रही हैं बच्चे खुद को माँ बाप से अधिक समझदार समझने लगे हैं समय चक्र तेजी से बदल रहा है मुकेश जी की बात से सहमत हूँ की दहेज़ से बचने के लिए कुछ परिवार ये स्टेप ले रहे हैं लड़की प्रेम विवाह करले तो दहेज़ से बच जायेंगे और ऐसा होता भी है ,किन्तु यदि माता पिता बच्चों की भावनाएं समझ कर उनको ख़ुशी से आशीर्वाद दें तो दोनों पक्ष का सम्मान भी बच रहेगा और सुखी माहौल में सब संपन्न होगा फिर बच्चों को चोरी से विवाह करने की क्या जरूरत होगी ...वो तो यदि माँ बाप मना करेंगे तो भी चोरी से करेंगे. माँ बाप रोकते हैं तो दकियानूसी का खिताब मिल जाता है| आज के वक़्त के एक गंभीर मुद्दे पर अच्छा आलेख लिखा है आपने ..हार्दिक बधाई मीना जी
आदरणीय मुकेश जी .. दहेज और महंगाई से बचने का ये तरीका क्या ठीक है ?? जिन परिवारों की बात मैंने अपनी रचना में की है वो बेटे वालों से ज्यादा संपन्न हैं | सादर
सही कह रहीं हैं आप आ० अन्नपूर्णा जी कुछ ऐसा होना चाहिए कि दोनों का सम्मान बचा रहे और रिश्तों में कड़वाहट ना आये ..रिश्ते थोपे ना जाये, प्रेम और सम्मान से अपनाए जाएं
बहुत बहुत आभार अन्नपूर्णा जी रचना सरहाने हेतु
SAMAAJ ME BADHTE DAHEZ AUR MAHNGAAEE SE NIPATNE K LIYE AKSAR LADKEE WAALE YE SARAL AUR SAHJ TAREEKAA APNAA LETE HAIN - HALAA KI IS K PAKSH AUR VIPAKSHA DONO TARK DIYE JAA SAKTE HAIN - FIR BHE SAMAAJ KEE SACHHAAEE PESH KARTEE EK ACHHEE RACHNAA K LIYE BADHAAEE MEENAA JEE'
बहुत सही चित्रण किया है आपने मीना दी । ऐसे तमाम लोग दिखेंगे जो दोहरी मानसिकता रखते है , खुद के लिए कुछ और दूसरों के लिए कुछ । स्वार्थी समाज है आज । भटकन सभी मे है , लड़के के माता पिता सैकड़ो सपने सँजोते है । वैसे ही लड़की के मात पिता भी लेकिन घर घर जाकर जो अपमान सहना पड़ता है उससे वे बच जाते है । यहाँ तो मै ये कहूँगी कि सभी को समझदारी से काम लेना चाहिए , लड़की लड़का और दोनों के मात पिता सभी को । तभी एक दूसरे का सम्मान बना रह सकता है ।
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