१२१२ ११२२ १२१२ ११२
हमारी बात उन्हें इतनी नागवार लगी
गुलों की बात छिड़ी और उनको खार लगी
बहुत संभाल के हमने रखे थे पाँव मगर
जहां थे जख्म वहीं चोट बार-बार लगी
कदम कदम पे हिदायत मिली सफर में हमें
कदम कदम पे हमें ज़िंदगी उधार लगी
नहीं थी कद्र कभी मेरी हसरतों की उसे
ये और बात कि अब वो भी बेकरार लगी
मदद का हाथ नहीं एक भी उठा था मगर
अजीब दौर कि बस भीड़ बेशुमार लगी
संजू शब्दिता मौलिक व अप्रकाशित
Comment
वाह वाह वाह.. !
वाकई इस ग़ज़ल पर देर से आना खल रहा है. संजूजी, आपकी यह ग़ज़ल आगे आपकी ग़ज़लों के लिए मानक होगी.
दिल से बधाई लीजिये.
shandarशानदार गजल के लिए बधाई ।
शानदार ग़ज़ल है
बधाई स्वीकारें
इस ग़ज़ल को अगर मैं लिखता तो लगी रदीफ़ की जगह लगे रदीफ़ रखता,
देखिए तो ज़रा से बदलाव से लुत्फ़ दोबाला हो जा रहा है
हमारी बात उन्हें इतनी नागवार लगे
गुलों की बात छिड़े और उनको खार लगे
बहुत शानदार शब्द संयोजन बधाई
बहुत खूब ..क्या कहने ..वाह
बहुत अच्छा मजा आ गया
इस अच्छी गज़ल के लिए बधाई, आदरणीया।
बहुत सुन्दर ग़ज़ल लिखी संजू जी बहुत- बहुत बधाई.
गुलों की बात छिड़ी और उनको खार लगी ... क्या कहने .. बहुत खूब..
वाह वाह ज़ोरदार कहन बहुत बहुत बधाई आपको। .......
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online