For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक ---

मेरे, उसके बीच
बहता है
एक खामोश दरिया
जिस पे कोई पुल नहीं है
चाहूँ तो
शब्दों के खम्बो
वादों के फट्टों का
पुल खड़ा कर सकता हूँ
मगर
मुझे अच्छा लगता है
दरिया में
उतारना खामोशी से
और फिर
डूबते उतरते
उतर जाना उस पार

दो ----

अनवरत
चल रहा हूँ
नापता
शब्दों की सड़क
ताकि पहुंच सकूँ
अंतिम छोर तक
कूद जाने के लिए
एक खामोश समंदर में
हमेशा हमेशा के लिए

मुकेश इलाहाबादी ----------


-मौलिक एवं अप्रकाशित।

Views: 539

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by MUKESH SRIVASTAVA on June 3, 2014 at 4:14pm

JEE BAHUT BAHUT AABHAAR IS HAUSLAA AAFZEE KE LIYE - SAURABH PANDEY JEE


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 3, 2014 at 3:10pm

आपकी संवेदना शाब्दिक हो कर जिस ढंग से अभिव्यक्त होती है वह हमसभी के लिए उदाहरण बनाती है.
इस प्रस्तुति ने भी आत्मीय सुख दिया है. मनोदशा के इस विशेष पहलू को साझा करने के लिए हार्दिक धन्यवाद, भाईजी.
आपकी दोनों कविताओं के लिए मैं दिल से बधाई देता हूँ.

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 30, 2014 at 3:56pm

अंतिम छोर तक
कूद जाने के लिए
एक खामोश समंदर में
हमेशा हमेशा के लिए...सुंदर भावों को सहेजे सुंदर रचना ...शब्दों के सहारे हम भी अंतिम छोर तक पहुंचे  ..आप चाहते थे कूद जाना लोग डूब गए ..इस बेहतरीन रचना पर हार्दिक बधाई सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 29, 2014 at 9:59am

वाह बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by MUKESH SRIVASTAVA on May 28, 2014 at 9:50pm

 

  BAHUT BAHUT SHUKRIAA - CONTEE JEE & LAXMAN PRASAD LADIWALA JEE IS HAULAA AAFZAAEE KE LIYE

Comment by coontee mukerji on May 28, 2014 at 8:10pm

बहुत सुंदर रचना.....हार्दिक बधाई.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 28, 2014 at 7:21pm

दरिया पार करने का होंसला रखने को लेकर रची कविता, और अंतिम छोर तक खामोश चलते रहने की सुन्दर कल्पना 

विचारों का प्रवाह लिए रची दोनो रचनाओं के लिए बधाई 

Comment by MUKESH SRIVASTAVA on May 28, 2014 at 2:47pm

 bahut bahut shukriaa - rachnaa pasandgee ke liye Gopal Narayan jee & Meena Pathak jee

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 28, 2014 at 2:30pm

मुकेश जी

एक दरिया दूसरा समंदर i

एक के पर जाना है दूजे में सामना है i

क्या बात है i अति सुन्दर i

Comment by Meena Pathak on May 27, 2014 at 10:41pm

बहुत उम्दा ... अच्छी लगी आप की खामोशी ... बधाई | सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service