For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक बाजू गर्वीला पर्वत

अपनी ऊँचाई और धवलता पर इतराता

क्यूँ देखेगा मेरी ओर?

गर्दन  झुकाना तो उसकी तौहीन है न!   

दूजी बाजू छिः !! यह तुच्छ बदसूरत बदरंग शिलाखंड  

मैं क्यूँ देखूँ इसकी ओर

कितना छोटा है ये 

इसकी मेरी क्या बराबरी 

समक्ष,परोक्ष ये ईर्ष्यालू भीड़ ,उफ्फ!!

जब सबकी अपनी-अपनी अहम् की लड़ाई

और मध्य में वर्गीकरण की खाई

फिर क्यूँ शिकायत

अकेलेपन से!! 

अपने दायरे में

संतुष्ट क्यों नहीं ?

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

Views: 606

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 10, 2014 at 10:07am

आ० सौरभ जी ,आपको रचना पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ ,हार्दिक आभार आपका |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 10, 2014 at 12:37am

एक बहुत ही सार्थक कविता के लिए हार्दिक बधाई लीजिये आदरणीया.. .

शुभ-शुभ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 5, 2014 at 7:06pm

आ० गिरिराज भंडारी जी रचना के अनुमोदन हेतु मेरा उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु आपका बहुत- बहुत आभार |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 5, 2014 at 7:27am

आदरणीया राजेश जी , दुनिया की हर लड़ाई अहं से ही शुरू  होती है , यही तो हर फसाद की जड़ है , यही तो मनुष्य को असल मायने मे मनुष्य होने नही दे रहा है । बहुत सार्थक अभिव्यक्ति के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 4, 2014 at 7:49pm

सविता मिश्रा जी ,आपको रचना पसंद आई बहुत- बहुत शुक्रिया|


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 4, 2014 at 7:48pm

आ० लक्ष्मण धामी भैय्या,ये कमजोरी कभी न कभी हरेक को शिकार बनाती है बस इससे बचना ही चाहिए| कैसे इसका उत्तर भी आपको अपने अन्दर से ही मिलेगा ,रचना के अनुमोदन हेतु बहुत-बहुत आभार |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 4, 2014 at 7:46pm

आ० डॉ गोपाल जी, आपने रचना का अनुमोदन करके मेरी रचना और मेरी कलम दोनों को धन्य किया है ह्रदय तल से आभारी हूँ |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 4, 2014 at 7:44pm

जितेन्द्र गीत भैय्या अहम् एक एसा रोग है जो मानव के सर्वांगीण विकास में बाधक होता है उसका सोचने का दायरा घाट जाता है उसके इर्द गिर्द एक ऐसी परिधि बन जाती है जो फिर उसे बाहर नहीं निकलने देती अतः जितना हो सके इस रोग को अपने से दूर रखना है ,आपको इस रचना का मर्म प्रभावित कर सका मेरा लिखना सार्थक हुआ ,ह्रदय से आभारी हूँ और हाँ मैं अतुकांत इतना लिख चुकी हूँ कि अब मुझे विषय ढूँढना पड़ता है ओबिओ पर ही मेरे ब्लॉग में बहुत सारी मिल जायेंगी|

Comment by savitamishra on July 4, 2014 at 7:15pm

बहुत सुन्दर 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 4, 2014 at 12:08pm

आ० राजेश दीदी , कभी कभी मुझ पर भी अहम सवार हो जाता है l इसे उतरने का कोई सरल उपाय हो तो मुझे भी बताएं . इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई l

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service