" क्या बात है वर्माजी , बड़े खुश नज़र आ रहे हैं आप , कोई लाटरी तो नहीं लग गयी इस उम्र में" |
" नहीं भाई , दरअसल अख़बार में खबर थी कि एक वृद्धाश्रम बन रहा है अपने शहर में , अब कम से कम बाक़ी जिंदगी तो अपनों में गुजरेगी "|
मौलिक एवँ अप्रकाशित
Comment
आभार सौरभजी..
आज के दौर के एक महत्त्वपूर्ण विन्दु को साझा करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय.
आभार डॉ गोपाल जी |
बहुत सुन्दर
खासकर --- बाकी जिन्दगी तो अपनों में गुजरेगी i
आदरणीय विनय जी,
सुन्दर कथा.
वर्मा जी की खुशी के पीछे की हालत और हालात को सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया गया है.
बेगाने अब अपनों से ज्यादा अपने लग रहे हैं..कथा में वर्मा जी को एक विश्वास भी है कि उनके जैसे और लोग भी उस वृद्धाश्रम में उनके साथ होंगे...इसने समाज के एक विद्रुप रुप को भी सामने रखा है...बधाई..
सादर.
बहुत बहुत आभार कि अपने सराहा राजेश जी |
जब अपने संवेदन हीन हैं तो जो अपने जैसे हैं वही अपने हैं आजकल ....बहुत बढ़िया सार्थक लघु कथा अपना सन्देश देने में सफल है
बहुत- बहुत बधाई विनय कुमार जी |
बहुत बहुत आभार शिज्जु जी एवम जीतेन्द्र जी |
वाकई आज की औलादों में संवेदनहीनता बढ़ती जा रही है बहुत बहुत बधाई इस लघुकथा के लिये
लाटरी ही तो लग रही है, वरना आज का इंसान, इंसान नही रहा आम हो गया है. :)) ...जब तक वो कुछ दे सके या पा सको अपना , फिर .......बहुत अच्छी लघुकथाएं पढने को मिल रही है आदरणीय विनय जी आपकी कलम से . आपको बहुत बहुत बधाई
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online