“खाना… पानी सब देने के बाद भी जब देखो मुँह उतरा ही रहता है.” तुनकते हुये बहु ने सास के सामने टेबल पर खाने की प्लेट पटक दी...
सास ने अपने बेटे को आंखो की पनियायी कोर से देखा....
वो तो तन्मयता से टीवी पर गंगा में आक्सीजन की कमी से मर रही मछलियों के बारे मे न्यूज़ देख रहा था.
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(मौलिक और अप्रकाशित)
Comment
बहुत खूब ..हार्दिक बधाई सजीव चित्रण के लिए सादर
बहुत अच्छी लघुकथा. बहुत ही महीन चित्रण. बहुत -२ बधाई आपको आदरणीय शुभ्रांशु जी
अच्छी लघुकथा है शुभ्रांशु जी, दिली दाद कुबूल कीजिए
आदरणीय गुमनाम जी कथा पर समय देने के लिये घन्यवाद.
आदरणीया प्राची जी, कथा पर अपने विचार देने के लिये घन्यवाद.
धन्यवाद आदरणीय विनय जी, कथा पर आपने समय दिया.
आदरणीय रवि प्रभाकर जी.
कथा पर समय देने के लिये घन्यवाद.
ये ओबीओ मंच और आप जैसे गुनी जन का सानिध्य है जिससे कुछ लिखने की हिमाकत करता हूँ. आप लोगों को पसंद आता है इसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
सादर.
आदरणीय डा गोपाल नारायण जी,
कथा पर विचार देने के लिये घन्यवाद.
सादर.
बहुत गहरी बात कही आपने अपनी लघुकथा के माध्यम से ...बहुत बहुत बधाई
लघुकथा अपनी बात कहने में सफल है कुछ ही पंक्तियाँ बहुत कुछ समझा गई ,दिखा गई .इस सार्थक लघु कथा के लिए ढेरों बधाईयाँ आपको शुभ्रांशु जी
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