For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गंगा की मछली (लघु कथा) // शुभ्रांशु पाण्डेय

“खाना… पानी सब देने के बाद भी जब देखो मुँह उतरा ही रहता है.” तुनकते हुये बहु ने सास के सामने टेबल पर खाने की प्लेट पटक दी...

सास ने अपने बेटे को आंखो की पनियायी कोर से देखा....

वो तो तन्मयता से टीवी पर गंगा में आक्सीजन की कमी से मर रही मछलियों के बारे मे न्यूज़ देख रहा था.

*******************

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 855

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by MAHIMA SHREE on August 3, 2014 at 3:46pm

बहुत खूब ..हार्दिक बधाई सजीव चित्रण के लिए सादर

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 3, 2014 at 12:37am

बहुत अच्छी लघुकथा. बहुत ही महीन चित्रण. बहुत -२ बधाई आपको आदरणीय शुभ्रांशु जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on August 2, 2014 at 8:44pm

अच्छी लघुकथा है शुभ्रांशु जी, दिली दाद कुबूल कीजिए

Comment by Shubhranshu Pandey on August 2, 2014 at 4:47pm

आदरणीय गुमनाम जी कथा पर समय देने के लिये घन्यवाद.

Comment by Shubhranshu Pandey on August 2, 2014 at 4:27pm

 आदरणीया प्राची जी, कथा पर अपने विचार देने के लिये घन्यवाद. 

Comment by Shubhranshu Pandey on August 2, 2014 at 4:24pm

धन्यवाद आदरणीय विनय जी, कथा पर आपने समय दिया.

Comment by Shubhranshu Pandey on August 2, 2014 at 4:24pm

आदरणीय रवि प्रभाकर जी. 

कथा पर समय देने के लिये घन्यवाद.

ये ओबीओ मंच और आप जैसे गुनी जन का सानिध्य है जिससे कुछ लिखने की हिमाकत करता हूँ. आप लोगों को पसंद आता है इसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद. 

सादर.

Comment by Shubhranshu Pandey on August 2, 2014 at 4:05pm

आदरणीय डा गोपाल नारायण जी, 

कथा पर विचार देने के लिये घन्यवाद.

सादर.

 

Comment by Meena Pathak on August 2, 2014 at 3:24pm

बहुत गहरी बात कही आपने अपनी लघुकथा के माध्यम से ...बहुत बहुत बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 1, 2014 at 9:20pm

लघुकथा अपनी बात कहने में सफल है कुछ ही पंक्तियाँ बहुत कुछ समझा गई ,दिखा गई .इस सार्थक लघु कथा के लिए ढेरों बधाईयाँ आपको शुभ्रांशु जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service