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ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी - - कभी झेली भी है शर्मिन्दगी क्या

कभी  झेली  भी है शर्मिन्दगी क्या

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कभी खुद से शिकायत भी हुई क्या

कभी  झेली  भी है शर्मिन्दगी क्या

 

बहुत  बाहोश खोजे , मिल न पाये

मिला  देगी  हमें अब  बेखुदी क्या

 

ये क़िस्सा,  दर्द- आँसू  से बना है

समझ  लेगी  इसे आवारगी  क्या

 

अगर सीने में सादा दिल है ज़िन्दा

बनावट  बाहरी क्या, सादगी  क्या

 

ख़ुदा वालों  ख़ुदा  कहने से  पहले

ज़रा सा जान तो लो, है खुदी क्या

 

हमें तो  पेट ने  कर डाला  बेसुघ

हमारी  क़ाफिरी  क्या, बंदगी क्या

 

अमीरी , ज़िंदगी  जीती  हो शायद

हमारी  मौत क्या है ज़िंदगी  क्या

 *******************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित 

 

 

 

 

Views: 716

Comment

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 5, 2014 at 11:53am

आदरणीय विजय शंकर भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका दिली आभार ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 5, 2014 at 11:20am

आ० गिरिराज भाई , इस उम्दा ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई .

Comment by Ajay Agyat on August 5, 2014 at 7:10am

बहुत उम्दा

Comment by Dr. Vijai Shanker on August 5, 2014 at 12:59am
कभी खुद से शिकायत भी हुई क्या
कभी झेली भी है शर्मिन्दगी क्या
बात गहरी है बहुत ,बहुत बहुत बधाई .

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 4, 2014 at 10:44pm

आदरणीया सीमा हरि जी , हौसला अफज़ाई के लिये आपका शुक्रिया ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 4, 2014 at 10:43pm

आदरणीय राम शिरोमणि  भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपक आभारी हूँ ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 4, 2014 at 10:42pm

आदरणीय राम अवध भाई , आपने बड़ी तारीफ कर दी , माँ सरस्वती हो आपकी तारीफ सौंप रहा हूँ , सब उन्ही की कृपा से है । मेरी गज़लें आपको पसन्द आतीं है , इसके लिये मै आपका हृदय से आभारी हूँ । कुछ और अच्छी ग़ज़ले आपको पढ़वा सकूँ ऐसी कोशिश हमेशा रहेगी। 

Comment by seemahari sharma on August 4, 2014 at 9:17pm
बहुत सुंदर गजल ।
Comment by ram shiromani pathak on August 4, 2014 at 9:11pm

अमीरी , ज़िंदगी  जीती  हो शायद

हमारी  मौत क्या है ज़िंदगी  क्या

 *******************************वाह वाह क्या कहने आदरणीय। ....... बहुत बहुत  बधाई आपको 

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on August 4, 2014 at 5:35pm

आदरणीय भंडारी जी आप जब भी अपनी ग़ज़ल पोस्ट करते हैं तो मैं उसे ज़रूर पढ़ता हूँ आप की ग़ज़लें मुझे बहुत प्रभावित करती हैं नये विचारों के साथ आपकी ग़ज़लें आने वाले समय में नये शायरों को अच्छा लिखने के लिए प्रेरित करेंगी

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