For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुछ सामयिक दोहे / जवाहर

मानसून की देर से, खेतहि फटे दरार,

ताके किसना मेघ को, आपस में हो रार.

मानसून की अधिकता, बारिश हो घनघोर

उजड़ा घर अरु खेत अब, देखत सब चहु ओर

तीव्र पानी प्रवाह से,  वन गिरि भी थर्राय

नर पशु पानी में बहे, किसको कौन बचाय .

उथल पुथल भइ जिंदगी, कहते जिसे विकास.

जलवायु दूषित हुई,  आम हो गया ख़ास

राग द्वेष का जोर है, प्रीती नहीं सुहाय,

भाई से भाई लड़े, संचित धन भी जाय..

फैशन की अब होड़ है, फैशन डूबे लोग.

फैशन में पोषण घटे, बचा न कोइ निरोग.

(मौलिक व अप्रकाशित)

जवाहर लाल सिंह  

Views: 709

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 19, 2014 at 11:02am

आ० भाई जवाहर जी , बहरीन समसामयिक दोहों के लिए हार्दिक बधाई .

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 19, 2014 at 10:58am

सुंदर दोहे रचे है | हार्दिक बधाई श्री जवाहर भाई - अंतिम दोहे का अंतिम चरण पुनः देखले -

बचा न कोई निरोग - लय भंग लग रही है | इस -  "कैसे रहे निग्रोग" किया जा सकता है |

सादर 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 18, 2014 at 9:51pm

एक -एक दोहा सही कहता है. बधाई आदरणीय जवाहर जी

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 18, 2014 at 9:06pm

हार्दिक आभार आदरणीया कल्पना मिश्रा बाजपेयी जी!

Comment by kalpna mishra bajpai on August 18, 2014 at 8:41pm

फैशन की अब होड़ है, फैशन डूबे लोग.

फैशन में पोषण घटे, बचा न कोइ निरोग.................. इस में कोई दोराहें नहीं सही कहा आप ने । बहुत बधाई 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 18, 2014 at 7:49pm

प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय श्री श्याम नारायण वर्मा जी! 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 18, 2014 at 7:48pm

प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय डॉ. विजय शंकर जी! 

Comment by Shyam Narain Verma on August 18, 2014 at 12:03pm
" अच्छी प्रस्तुति आदरणीय ,बधाई ................. "
Comment by Dr. Vijai Shanker on August 18, 2014 at 11:45am
पानी , प्रदूषण. प्रीति , सभी कुछ समेटते दोहे बहुत अच्छे हैं , बधाई जवाहर लाल जी इन प्रेरक दोहों के लिए .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"जी बिहतर है "
24 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय Dayaram Methani जी आदाब  ग़ज़ल के प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। ग़ज़ल — 2122 2122…"
29 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय Zaif जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें  2122 2122 2122 212 घोर…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय Zaif जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए अमीर जी की टिप्पणी क़ाबिले ग़ौर है…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमीर जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है ,हर शेर क़ाबिले तारीफ़ है,बधाई स्वीकार कीजिये गिरह भी ख़ूब…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये सादर"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमीर जी  बहुत शुक्रिया आपका सादर"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, आपकी टिप्पणी के लिए धन्यवाद। कृपया कुछ कमिया बता कर उसका निदान भी बताते तो…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. भाई जैफ जी, अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा है। हार्दिक बधाई। भाई अमीरुद्दीन जी की सलाह पर गौर करें।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, स्नेह के लिए आभार।"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
9 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय यूफोनिक अमित जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
9 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service