घर-चमन में झिलमिलाती, रोशनी तुमसे पिता
ज़िंदगी में हमने पाई, हर खुशी तुमसे पिता
छत्र-छाया में तुम्हारी, हम पले, खेले, बढ़े
इस अँगन में प्रेम की, गंगा बही तुमसे पिता
गर्व से चलना सिखाया, तुमने उँगली थामकर
ज़िंदगी पल-पल पुलक से, है भरी तुमसे पिता
याद हैं बचपन की बातें, जागती रातें मृदुल
ज्ञान की हर बात जब, हमने सुनी तुमसे पिता
प्रेरणा भयमुक्त जीवन की, सदा हमको मिली
नित नया उत्साह भरती, हर घड़ी तुमसे पिता
हाथ माथे है तुम्हारा, हम बड़े हैं खुशनसीब
घर-गृहस्थी में घुली है, माधुरी तुमसे पिता
हर बला से दूर रखता, बल तुम्हारा ही हमें
‘कल्पना’ जग में सुरक्षा, है मिली तुमसे पिता
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आ॰ श्याम नरेन जी, आ॰ गोपाल नारायणजी, आ॰सलीम शेखजी,आ॰सुलभ जी, आ॰हरिवल्लभ जी,आ॰जितेंद्र जी, आ॰खुर्शीद जी, आ॰लक्षमण धामी जी, आ॰नीरज जी, आप सबका रचना की सराहना द्वारा प्रोत्साहित करने के लिए हार्दिक आभार।
गर्व से चलना सिखाया, तुमने उँगली थामकर
ज़िंदगी पल-पल पुलक से, है भरी तुमसे पिता
हाथ माथे है तुम्हारा, हम बड़े हैं खुशनसीब
घर-गृहस्थी में घुली है, माधुरी तुमसे पिता ... हर शेर लाजवाब ॥ बहुत भावपूर्ण ॥ बहुत बधाई ।
आदरणीय कल्पना दीदी , पिता को समर्पित इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई .
याद हैं बचपन की बातें, जागती रातें मृदुल
ज्ञान की हर बात जब, हमने सुनी तुमसे पिता
आदरणीय कल्पना जी हार्दिक बधाई ,पिता रदीफ़ के साथ मैं यह पहली ग़ज़ल सुन रहा हूं |मेरी इच्छा है कि मैं ऐसी ही कुछ भावनाएं अपने श्रद्धय को अर्पित कर पाऊं |सादर अभिनन्दन
माता-पिता का स्थान तो सबसे सर्वोपरि होता है,बहुत सुंदर गजल कही है आपने आदरणीया कल्पना जी. हार्दिक बधाई स्वीकारें
बहुत सुन्दर ग़ज़ल ..पिता का महत्व पूर्ण स्थान मिला तो है ..पर आपने पित्र पक्ष में साहित्यक श्रद्धांजलि से नवाजा ..बधाई आदरणीया.
सुन्दर-सार्थक अभिव्यक्ति
एक उपेक्षित विषय पर सुन्दर अभिव्यक्ति ढेरों बधाई स्वीकारें
महनीया
माँ की महिमा तो लोग प्रायः गाते हैं i पर पिता प्रायः उपेक्षित रह जाते है i जबकि मानव जीवन में उनकी भूमिका कमतर नहीं होती i आप की रचना से मुझे बड़ी आश्वस्ति मिली क्योंकि मेरा पालन -पोषण मेरे तपोमूर्त्ति पिता ने ही किया है i सादर i
इस सुन्दर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई आपको ................. |
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