(मौलिक व अप्रकाशित)
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Comment
बहुत खुबसुरत .....सीधे साधे लोग ही अक्सर अपराध की राह चल पड़ते है
बहुत बहुत आभार सक्रीय सदस्य के रूप में हमे सम्मान देने के लिए ...हम समय पर देख नहीं पाए क्योकि हमारा कम्प्यूटर खराब था| और हम पासवर्ड भी भूल गये थे इसका कल ही नया पासवर्ड किये तो आज नजर गयी|...आभार पुनः
आदरणीय गणेश भाईजी ,
आपका यह बड़प्पन है कि मेरे कहन को अन्यथा नहीं लिया , धन्यवाद आभार । दूसरे दिन सुबह ही मुझे रायपुर जाना था 15 - 16 घंटे के लिए, अतः रात्रि में ही आपकी कथा पढ़ते ही अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर गया, शायद कुछ ज़ल्दी में।
सहीं कह रहे है बंद गली से ही भोलुआ को नई राह मिली है ।
सादर
यह तो गागर में सागर भर दिया आपने. समसामयिक समस्या पर इससे अच्छा प्रहार दूसरा हो ही नहीं सकता.बहुत बधाई आ ० गणेश बागी जी.
जब जब विश्वास या आसरा टूटता है , प्रतिक्रिया स्वरुप इंसान दूसरे छोर की ओर न्याय के लिए क़दम बड़ा देता है, ये फैसला चाहे कितना भी गलत हो, यही प्रतिक्रया स्वाभाविक होती है | कथा के पात्र ने भी यही किया , बहुत खूब आदरणीय संकेतों में कही गयी कथा बहुत सफ़ल है | आपको दिली बधाइयाँ आ. बागी जी |
आदरणीय डॉ विजय शंकर जी, आपकी उत्साहवर्धन करती टिप्पणी प्रेरणा श्रोत है, बहुत बहुत आभार।
प्रिय नीरज जी, लघुकथा पसंद करने हेतु धन्यवाद।
आदरणीय अखिलेश भाई साहब, आपकी प्रतिक्रिया उत्साहवर्धन करती है, समीक्षात्मक शैली में लिखी गई टिप्पणी मन मुग्ध कर गयी, सुझाव के अनुसार "ने" हटा दिया है किन्तु जहाँ तक शीर्षक की बात है, मेरा अनुरोध है कि "बंद गली" में तनिक अंदर तक प्रवेश करे, आपको यह शीर्षक अधिक अपयुक्त लगेगा। हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ आदरणीय।
लघु कथा का शीर्षक बंद गली कथा के कथानक के अनुरूप है. नक्सलवाद का जन्म क्यों और किन परिस्थितियों में हुआ है समस्या को समझे बिना निदान संभव नहीं. इस तथ्य को समझाने में लघु कथा सफल एवं प्रभावशाली रही है. ऐसा मेरा मानना है. अतएव आदरणीय सादर बधाई स्वीकार करें.
बहुत बढ़िया लघुकथा. सच ही तो है जब सारे रास्ते बंद हो तो कोई करे भी क्या..? लघुकथा पर आपको बहुत -२ बधाई आदरणीय बागी जी
भोलू हिरन की पत्नी को जब गुंडे उठाकर ले गए और भोलू कुछ न कर सका और न ही उसकी किसी ने सुनवाई की तो अत्याचारों की मार से परेशाँ होकर कैसी नक्सली पैदा होते है, यह बताने में लघु कथा सफल हुई है | हार्दिक बधाई आ0 श्री गणेशजी "बागी" जी
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