For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कर्मठ

जैसे ही पता चलता है कि नेताजी स्कूल प्रांगण में आ चुके हैं |कर्मवीर जी सक्रिय हो जाते हैं और दिनेश से माईक लेकर स्वागत कि घोषणा करते हैं |फिर कार्यक्रम के समापन तक सभी जगह सभी के साथ कर्मठ कर्मवीर जी कैमरे में कैद हो जाते हैं |मंच से कुछ दूर कुर्सी पर बैठा दिनेश अपनी निष्क्रियता पर गहरी सांस लेता है और कर्मठ कैमरे और कर्मठ कर्मवीर जी के चेहरे पर बार-बार आ रहे फ़्लैश को देखता रहता है |

 C-@-सोमेश कुमार

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

Views: 462

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shubhranshu Pandey on October 28, 2014 at 11:49am

सुन्दर कथा.

सादर.

Comment by ram shiromani pathak on October 13, 2014 at 9:09pm
ज़ोरदार व्यंग। बधाई आदरणीय
Comment by विनय कुमार on October 13, 2014 at 8:22pm

बहुत सुन्दर , आजकल लोग करते कम हैं और दिखावा ज्यादा करते हैं |

Comment by somesh kumar on October 13, 2014 at 7:06am

उत्साह-वर्धन एवं स्नेह के लिए सभी साहित्य-प्रेमी मित्रों को शुक्रिया |

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 12, 2014 at 11:40pm

एक सच का सुंदर चित्रण. कुछ लोग होते है ऐसे जो स्वयं ऊपर आने के लिए दूसरों को गिरा देते है. बहुत-बहुत बधाई आपको आदरणीय सोमेश जी

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 12, 2014 at 7:21pm

ऐसे ही कर्मठों ने तो सत्यानाश कर रखा है जो सिर्फ दिखावे के लिए काम कर के फोटो खिचवाते रहते हैं।  सही चित्र प्रस्तुत करती  है यह लघु कथा आदरणीय सोमेश कुमार जी बधाई।  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 12, 2014 at 6:53pm

बहुत बड़ी सच्चाई लिखी है ऐसे महत्वाकांक्षी लोग जो दूसरों को पीछे धकेल लाइम लाईट में आने के लिए प्रयत्नशील रहते हैं हर जगह मिल जायेंगे कितना शातिर दिमाग होता है उनका और सच्चे सीधे लोग बस देखते रह जाते हैं ,बहुत अच्छी लगी लघु कथा हार्दिक बधाई |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
13 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
13 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
13 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
14 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
14 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
14 hours ago
Admin posted discussions
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"बंधुवर सुशील सरना, नमस्कार! 'श्याम' के दोहराव से बचा सकता था, शेष कहूँ तो भाव-प्रकाशन की…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"बंधुवर, नमस्कार ! क्षमा करें, आप ओ बी ओ पर वरिष्ठ रचनाकार हैं, किंतु मेरी व्यक्तिगत रूप से आपसे…"
yesterday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"बंधु, लघु कविता सूक्ष्म काव्य विवरण नहीं, सूत्र काव्य होता है, उदाहरण दूँ तो कह सकता हूँ, रचनाकार…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Dharmendra Kumar Yadav's blog post ममता का मर्म
"बंधु, नमस्कार, रचना का स्वरूप जान कर ही काव्य का मूल्यांकन , भाव-शिल्प की दृष्टिकोण से सम्भव है,…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"अच्छे दोहे हुए हैं, आदरणीय सरना साहब, बधाई ! किन्तु दोहा-छंद मात्र कलों ( त्रिकल द्विकल आदि का…"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service