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“मोनू बेटा आज मालकिन ने 500 रुपया ईनाम दिए हैं ,चलो तुम्हें दिवाली के नए कपड़े दिलवा दें “माँ ने कहा

“माई ,हमे स्कूल कि ड्रेस दिवाए दो,प्रार्थना में गुरूजी अलग खड़ा कर देत हैं |”बच्चे के चेहरे पर संतोषभरी मायूसी थी |

सोमेश कुमार (मौलिक एवं अप्रकाशित )

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प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 3, 2014 at 10:59am

बढ़िया और मर्मस्पर्शी लघुकथा.

Comment by MAHIMA SHREE on October 19, 2014 at 8:24pm

बहुत अच्छा ..बधाई आपको 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 19, 2014 at 10:34am

मासूमियत के साथ, एक सही निर्णय. बहुत -बहुत बधाई आदरणीय सोमेश जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 18, 2014 at 11:00am

बहुत बढ़िया लघु कथा एक सच्चा सबक देती हुई.हार्दिक बधाई आपको  सोमेश कुमार जी | 

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 18, 2014 at 10:23am
एक सच बयान करती है यह रचना , मज़बूरी। बधाई आदरणीय सोमेश कुमार जी।

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