For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल: लौ मचलती रही.

साँस चलती रही, आस पलती रही.

रात ढलने तलक, लौ मचलती रही.

 

वादियों में दिखी, ओस-बूँदें सहर,

चाँदनी रात भर, आँख मलती रही.

 

कुछ हसीं चाहतों की तमन्ना लिए,

जिन्दगी आँसुओं से बहलती रही.

 

मैं समझता हुयी उम्र पूरी मगर,

मौत जाने किधर को टहलती रही.

 

इक उगा था कभी चाँद मेरे फ़लक,

जुगनुओं को यही बात खलती रही.

 

वो सुनी थी कभी बांसुरी की सदा,

ज़िंदगी रागनी में बदलती रही.

 

मैं अकेला समझ दूर चलता गया,

याद उसकी मगर साथ चलती रही.

 

तेल सारा जला जा रहा दीप का,

उम्र बाती लगातार जलती रही.

 

मौसमी धूप थी सूर्य तपता रहा,

हिमशिला देह कतरों पिघलती रही.

.

 **हरिवल्लभ शर्मा दि. 26.11.2014

 (रचना मौलिक स्वरचित एवं अप्रकाशित है)

Views: 1015

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rahul Dangi Panchal on November 28, 2014 at 5:46pm
बहुत सुन्दर वाह!
Comment by sarita panthi on November 28, 2014 at 8:05am

बहुत सुन्दर गज़ल 

Comment by Hari Prakash Dubey on November 27, 2014 at 5:46pm

इस सुन्दर रचना पर आपको बधाई आदरणीय हरी वल्लभ शर्मा जी ।


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 27, 2014 at 12:41pm

ग़ज़ल बहुत बढ़िया हुई है आ० हरिवल्लभ शर्मा जी, जिस हेतु दिल से आपको बधाई। निम्नलिखित शेअर पर दोबारा नजर-ए-सानी की आवश्यकता है:

//तेल जीवन जला जा रहा था सभी,
वक़्त बाती दिये बीच जलती रही.//

"तेल जीवन" अधूरा सा लग रहा है।
"सभी" शब्द जोकि "सारा" के लिए उपयोग हुआ है दुरुस्त नहीं है।
इस शेअर में तक़ाबुल-ए-रदीफैन का दोष भी है.

Comment by ram shiromani pathak on November 27, 2014 at 10:12am
वाह वाह क्या कहने आदरणीय।।बहुत बहुत बधाई आपको
Comment by harivallabh sharma on November 27, 2014 at 1:16am

आदरणीय Dr. Vijai Shanker जी आपकी हौसला बढाती प्रतिक्रिया हेतु ...हार्दिक आभार  आपका...स्नेह बनाये रखें ...सादर.

Comment by Dr. Vijai Shanker on November 27, 2014 at 12:16am
मैं अकेला समझ दूर चलता गया,
याद उसकी मगर साथ चलती रही.
लौ मचलती रही ,
साथ जलती रही ॥
खूब , बहुत खूब आदरणीय हरी वल्लभ शर्मा जी , बधाई।
Comment by harivallabh sharma on November 26, 2014 at 9:49pm

आदरणीय somesh kumar जी आपका स्नेह ग़ज़ल को मिला आपकी हौसला अफजाई का कायल हूँ...हार्दिक आभार , कृपया स्नेह बनाये रखें.. सादर.

Comment by harivallabh sharma on November 26, 2014 at 9:46pm

आदरणीया rajesh kumari जी आपकी अनुशंसा से बहुत हौसला बढ़ा है...हार्दिक  आभार आपका..कृपया अनुग्रह बनाये रखें..सादर.

Comment by harivallabh sharma on November 26, 2014 at 9:42pm

आदरणीय maharshi tripathi जी आपने  रचना को मान दिया आपकी सदाशयता हेतु हार्दिक आभार...स्नेह बनाये रखें..सादर.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
3 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service