For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सुन्दर शय्या
अधमुँदी सी आँखे
एक लम्बी सांस
एकांत वास
सोच के तार
अतीत मे जा 
जिंदगी की किताब
खोली जो इक बार
पन्ना- दर- पन्ना
धोखा, छल, आघात
कभी भावुकता तो 
कभी अज्ञानता
भरे निर्णय,
कभी विवशता
रिश्ते निभाने की
तो कभी मजबूरी 
सामाजिकता की,
जीवन की लम्बी डगर
पग-पग अवरोध,
बावजूद, बढ़ती गई वो 
कदम-कदम
लड़खड़ाती,संभलती
तपन दिनकर की सहती,
चढती गई
हर चढाई
मिले जो वादे 
जीवन मे
सब हारी
छला सबने
बारी - बारी
अब शाम जीवन की
ढलने को आई
थकन से चूर
जख्मों से आहत
जीने को मजबूर |

अचानक,
एक आह !!
बंद जीवन की किताब
खुली आँखें
माथे पर लकीरें
स्याह अन्धेरा  
भारी पलकें
घनी काली रात
शून्य को प्रस्थान 
विश्राम,विश्राम,विश्राम ||
**


मीना पाठक 
मौलिक/अप्रकाशित 

Views: 699

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 12, 2014 at 11:51am

आदरणीया मीना बहन जीवनका सुंदर शब्दचित्र प्रस्तुत किया है । हार्दिक बधाई स्वीकारें ।


vknj.kh;k ehuk cgu thoudk lqanj “kCnfp= izLrqr fd;k gS A gkfnZd c/kkbZ Lohdkjsa A


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 11, 2014 at 9:37pm

वाह आदरणीय मीना जी बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by Meena Pathak on December 11, 2014 at 6:05pm

आदरणीय मिथिलेश जी रचना सराहने हेतु बहुत बहुत आभार 

Comment by Meena Pathak on December 11, 2014 at 6:04pm

आदरणीय राम आसरे जी हार्दिक आभार 

Comment by Meena Pathak on December 11, 2014 at 6:03pm

आदरणीय गिरिराज ...सर बहुत बहुत आभार | सादर 

Comment by Meena Pathak on December 11, 2014 at 6:02pm

आदरणीय नवल किशोर जी बहुत बहुत आभार 

Comment by Meena Pathak on December 11, 2014 at 6:01pm

आदरणीय योगराज सर..रचना पर उपस्थिति के लिए हृदय से आभारी हूँ | सादर 

Comment by Meena Pathak on December 11, 2014 at 5:58pm

बहुत आभार आ० योगेन्द्र जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 10, 2014 at 11:01pm
आदरणीय मीना जी खूबसूरत रचना। बधाई स्वीकारें।
Comment by Ram Ashery on December 10, 2014 at 10:59pm

congratulation for such a wonderful poem.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
1 hour ago
Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"एकदम अलग अंदाज़ में धामी सर कमाल की रचना हुई है बहुत ख़ूब बधाई बस महल को तिजोरी रहा खोल सिक्के लाइन…"
9 hours ago
surender insan posted a blog post

जो समझता रहा कि है रब वो।

2122 1212 221देख लो महज़ ख़ाक है अब वो। जो समझता रहा कि है रब वो।।2हो जरूरत तो खोलता लब वो। बात करता…See More
18 hours ago
surender insan commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। अलग ही रदीफ़ पर शानदार मतले के साथ बेहतरीन गजल हुई है।  बधाई…"
19 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान देने तथा अपने अमूल्य सुझाव से मार्गदर्शन के लिए हार्दिक…"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"गंगा-स्नान की मूल अवधारणा को सस्वर करती कुण्डलिया छंद में निबद्ध रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय…"
23 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ सत्तरवाँ आयोजन है।.…See More
yesterday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"सादर प्रणाम🙏 आदरणीय चेतन प्रकाश जी ! अच्छे दोहों के साथ आयोजन में सहभागी बने हैं आप।बहुत बधाई।"
Sunday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ! सादर अभिवादन 🙏 बहुत ही अच्छे और सारगर्भित दोहे कहे आपने।  // संकट में…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"राखी     का    त्योहार    है, प्रेम - पर्व …"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service