For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शामिल न हुए अब तक हम उनकी दुआओं में,

(दोस्तों मतला लिखा था तरही मुशायरे के लिए ...लेकिन कल पेशावर की घटना ने इतना भाव विह्वल कर दिया कि जो कुछ बन पड़ा है,   बच्चो को श्रद्धांजली के रूप में आज ही पेश कर रहा हूँ .)

शामिल न हुए अब तक हम उनकी दुआओं में,

पर आज भी रखते हैं हम उनको ख़ुदाओं में.

हैवान हुए जाते हो अपनी अनाओं में,

अल्लाह नहीं दिखता बच्चों की अदाओं में?

मक़्तल में बदल डाला तालीम के मरकज़ को  

बारूद की बू अबतक फ़ैली है हवाओं में.

बस्तों से क़िताबों तक सब खून में लिपटे हैं, 

मासूम सी चीख़ें हैं, ख़ामोश ख़लाओं में.

हर कोई दुआ-गो है पर बाँझ दुआएँ हैं,    

अब हाल नहीं बाक़ी आहों में सदाओं में.

ये कौन सा मज़हब है ये कैसी इबादत है,

अल्लाह भी रखता है बच्चो को ख़ुदाओं में. 


अल्लाह निगेह्बां है उन नन्हे चराग़ों का,

जो बुझ के हुए रौशन ज़ुल्मत की फ़ज़ाओं में.
.

अश्रुपूरित श्रद्धांजलि 
निलेश "नूर"

Views: 523

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by somesh kumar on December 19, 2014 at 11:42pm

ये कौन सा मज़हब है ये कैसी इबादत है,

अल्लाह भी रखता है बच्चो को ख़ुदाओं में. 

 अक्षर नहीं पा रहा हूँ इस सम्वेदना इस पीड़ा पर ,पर रचना एक श्रधान्जली की तरह है और मैं भी इसमें शामिल हो रहा हूँ 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 18, 2014 at 7:40pm

अल्लाह निगेह्बां है उन नन्हे चराग़ों का,

जो बुझ के हुए रौशन ज़ुल्मत की फ़ज़ाओं में.-----बहुत खूब ...एक सच्ची श्रद्धांजली 

बधाई आपको इस सार्थक  सामयिक ग़ज़ल के लिए. 
.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 18, 2014 at 6:01pm

नीलेश जी

बहुत  बेहतरीन i मासूमो  का कत्लेआम अक्षम्य  अपराध है  i कवि या शायर का दुःखी होना लाजिम है  i

Comment by Hari Prakash Dubey on December 18, 2014 at 11:53am

बारूद की बू अबतक फ़ैली है हवाओं में.......बहुत सुन्दर नीलेश जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 17, 2014 at 11:14pm

आदरणीय नीलेश भाई , आपकी भावांजलि में मेरी भी भावनाये शामिल कर कर रहा हूँ । बहुत सुन्दर मार्मिक गज़ल के लिये दिल से बधाईयाँ स्वीकार करें ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 17, 2014 at 10:50pm

पेशावर के आर्मी स्कूल पर हुए तालिबानी हमले की दुनिया को झकझोर देने वाली इस घटना ने  हैवानियत की सीमायें भी लांघ दी है. मासूमों को श्रद्धांजली. सच कहा आपने --

'अल्लाह निगेह्बां है उन नन्हे चराग़ों का,

जो बुझ के हुए रौशन ज़ुल्मत की फ़ज़ाओं में.'

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service