For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खुदा ने खुदकुशी कर डाली

महा-खुदा की अदालत में

खुदा आज रो रहा है

लाख  मनाने पर भी वो

चुप  नहीं हो रहा  है !!

 

कभी जाता है, सदमें में

कभी जोर से चिल्लाता है

अपनी, अपनों की हत्या में

मैं शामिल हूँ, दुहराता है !!

 

अव्यक्त था चिर निद्रा में

व्यक्त हुआ ब्रम्हांड रचा है

शुन्य से हुआ अनंत में

सृष्टी का निर्माण किया है !!

 

अभिव्यक्त हुआ कण-कण में

मनुष्य का निर्माण किया है

इतने  सुन्दर गुण डाले उसमें

सर्वोतम का इनाम दिया है !!

 

समां गया खुद मैं उस में

समग्रता का वरदान दिया है

पर कुछ गलत प्रक्रिया में

कुछ ने ये अंजाम दिया है !!

 

मेरे नाम की आड़ में

नए  खुदा बना रहें हैं  

नए- नए ग्रन्थ बनाने में

अपने-अपने पंथ बना रहें हैं !!

फासंकर मुझको नामों में

बहुतों ने बदनाम किया है

युगों युगों से देख रहा मैं  

कितना कत्लेआम किया है !!

 

मनुष्य को बनाना नहीं था

अब तुम संभाल लो मेरे माली

महाखुदा मैंने गलती कर डाली

बस इतना कहकर .............

खुदा ने खुदकुशी कर डाली !!

 

© हरि प्रकाश दुबे

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 640

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Hari Prakash Dubey on December 20, 2014 at 7:05pm

सोमेश भाई रचना पर आपकी प्रतिक्रिया बहुत ही उत्साहवर्धक है ,हार्दिक धन्यवाद आपका !

Comment by Hari Prakash Dubey on December 20, 2014 at 7:03pm

 मिथिलेश जी आपका हार्दिक धन्यवाद !

Comment by Hari Prakash Dubey on December 20, 2014 at 7:01pm

ह्रदय से आभार, आपने रचना को आशीर्वाद दिया आदरणीया राजेश कुमारी जी !सादर!

Comment by somesh kumar on December 19, 2014 at 11:55pm

सार्थक अभिव्यक्ति ,अदभुत कल्पना,सामयिक विषय ,बस यही है सफल रचनाकार की सफ़लता 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 19, 2014 at 12:41am

मनुष्य को बनाना नहीं था

अब तुम संभाल लो मेरे माली

महाखुदा मैंने गलती कर डाली

बस इतना कहकर .............

खुदा ने खुदकुशी कर डाली !! सुन्दर रचना .... अच्छी प्रस्तुति इस हालात को सटीकता से व्यक्त किया आपकी रचना ने ... बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 18, 2014 at 8:05pm

सामयिक भावों को सटीक शब्द मिले हैं अच्छी अभिव्यक्ति ..बधाई आपको 

Comment by Hari Prakash Dubey on December 18, 2014 at 6:47pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव सर ह्रदय से आभार, आपने रचना को आशीर्वाद दिया ,आपकी प्रतिक्रिया मेरा प्रोत्साहन है सादर प्रणाम ! 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 18, 2014 at 6:17pm

महा खुदा की अदालत में खुदा ---क्या उर्वर कल्पना है  i किस पंख से उड़ते हो मीत  i बहुत सुन्दर i

Comment by Hari Prakash Dubey on December 18, 2014 at 4:56pm

आदरणीय श्री श्याम नारायण वर्मा जी आपका हार्दिक धन्यवाद !

Comment by Shyam Narain Verma on December 18, 2014 at 4:12pm

मार्मिक व लाजवाब प्रस्तुति के लिये बहुत बहुत बधाई स्वीकारेँ 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्ते ऋचा जी, अच्छी ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई। अच्छे भाव और शब्दों से सजे अशआर हैं। पर यह भी है कि…"
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय दयाराम जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। बधाई आपको  अच्छे मतले से ग़ज़ल की शुरुआत के लिए…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"रास्ता  घर  का  दूसरा  तो  नहीं  जीना मरना अलग हुआ तो…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"2122 1212 22 दिल को पत्थर बना दिया तो नहीं  वो किसी याद का किला तो नहीं 1 कुछ नशा रात मुझपे…"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"ग़ज़ल अंत आतंक का हुआ तो नहींखून बहना अभी रुका तो नहीं आग फैली गली गली लेकिन सिर फिरा कोई भी नपा तो…"
4 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार नीलेश भाई, एक शानदार ग़ज़ल के लिए बहुत बधाई। कुछ शेर बहुत हसीन और दमदार हुए…"
6 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार जयहिंद रायपुरी जी, ग़ज़ल पर अच्छा प्रयास हुआ है। //ज़ेह्न कुछ और कहता और ही दिलकोई अंदर मेरे…"
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"ज़िन्दगी जी के कुछ मिला तो नहीं मौत आगे का रास्ता तो नहीं. . मेरे अन्दर ही वो बसा तो नहीं मैंने…"
7 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी आयोजन का उद्घाटन करने बधाई.ग़ज़ल बस हो भर पाई है. मिसरे अधपके से हैं…"
7 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"देखकर ज़ुल्म कुछ हुआ तो नहीं हूँ मैं ज़िंदा भी मर गया तो नहीं ढूंढ लेता है रंज ओ ग़म के सबब दिल मेरा…"
18 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"सादर अभिवादन"
18 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"स्वागतम"
18 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service