For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ख़ामोश जुबां, ख़ामोश नज़र ....

ख़ामोश जुबां, ख़ामोश नज़र ....

ख़ामोश जुबां, ख़ामोश नज़र
ख़ामोश वो सारे नज़ारे थे
ख़ामोश थी खून की चीखें सभी
ख़ामोश वो अश्कों के धारे थे
ख़ामोश जुबां, ख़ामोश नज़र
ख़ामोश वो सारे नज़ारे थे …….

खूनी चेहरों के मंजर ने
हर धर्म का फर्क मिटा डाला
क्या अपना और बेगाना क्या
हर दुःख को अपना बना डाला
हर चेहरे पे इक दहशत थी
और सपनें सहमे सारे थे
ख़ामोश जुबां, ख़ामोश नज़र
ख़ामोश वो सारे नज़ारे थे ….

बिखरे चूडी के टुकडों का
बंदूक क्या दर्द को समझेगी
जो गोली खून की प्यासी हो
वो सिन्दूर का मर्म न समझेगी
प्रतिशोध की ज्वाला थी दिल में
और आंखों में अंगारे थे
ख़ामोश जुबां, ख़ामोश नज़र
ख़ामोश वो सारे नज़ारे थे ….

क्योँ मानव दानव बन बैठा
और कत्ल को धर्म समझ बैठा
अंजाम-ऐ-मौत से क्योँ अपने
जीवन का श्रृंगार वो कर बैठा
ऐ कातिल झुक के देख जरा
कुछ इनमें चेहरे तुम्हारे थे
ख़ामोश जुबां, ख़ामोश नज़र
ख़ामोश वो सारे नज़ारे थे, ख़ामोश वो सारे नज़ारे थे…………
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 524

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on December 21, 2014 at 6:32pm

आदरणीय    Dr. Vijai Shanker  जी रचना पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का तहे दिल से शुक्रिया। 

Comment by Sushil Sarna on December 21, 2014 at 6:32pm

 आदरणीय    somesh kumar    जी रचना पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का तहे दिल से शुक्रिया। 

Comment by Sushil Sarna on December 21, 2014 at 6:31pm

आदरणीय   Hari Prakash Dubey    जी रचना पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का तहे दिल से शुक्रिया। 

Comment by Dr. Vijai Shanker on December 20, 2014 at 8:38pm
ख़ामोश जुबां, ख़ामोश नज़र
एक सार्थक प्रस्तुति , बधाई आदरणीय सुशील सरना जी , सादर।
Comment by somesh kumar on December 20, 2014 at 7:44pm

खूनी चेहरों के मंजर ने
हर धर्म का फर्क मिटा डाला
क्या अपना और बेगाना क्या
हर दुःख को अपना बना डाला
हर चेहरे पे इक दहशत थी
और सपनें सहमे सारे थे
ख़ामोश जुबां, ख़ामोश नज़र
ख़ामोश वो सारे नज़ारे थे ….सुंदर प्रस्तुति |आदरणीय 

Comment by Hari Prakash Dubey on December 20, 2014 at 6:35pm

ऐ कातिल झुक के देख जरा
कुछ इनमें चेहरे तुम्हारे थे
ख़ामोश जुबां, ख़ामोश नज़र
ख़ामोश वो सारे नज़ारे थे....सुन्दर रचना .....हार्दिक बधाई आदरणीय सुशील सरना जी !

Comment by Sushil Sarna on December 20, 2014 at 2:46pm

    मिथिलेश वामनकर जी  आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 20, 2014 at 12:50am

भावुक और लाजवाब रचना की प्रस्तुति के लिये आपको बहुत बहुत बधाई.... 

Comment by Sushil Sarna on December 19, 2014 at 6:23pm

  gumnaam pithoragarhi जी  आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार

Comment by Sushil Sarna on December 19, 2014 at 6:23pm

    Shyam Narain Verma   जी  आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
yesterday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आद0 सुरेश कल्याण जी सादर अभिवादन। बढ़िया भावभियक्ति हुई है। वाकई में समय बदल रहा है, लेकिन बदलना तो…"
Tuesday
नाथ सोनांचली commented on आशीष यादव's blog post जाने तुमको क्या क्या कहता
"आद0 आशीष यादव जी सादर अभिवादन। बढ़िया श्रृंगार की रचना हुई है"
Tuesday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढ़िया है"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति -----------------प्रकृति में परिवर्तन की शुरुआतसूरज का दक्षिण से उत्तरायण गमनहोता…See More
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

नए साल में - गजल -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

पूछ सुख का पता फिर नए साल में एक निर्धन  चला  फिर नए साल में।१। * फिर वही रोग  संकट  वही दुश्मनी…See More
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , सहमत - मौन मधुर झंकार  "
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"इस प्रस्तुति पर  हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील  भाईजी|"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service