“वर्मा साहब, एक बात समझ में नहीं आयी, आपने फ़िल्म प्रोडक्शन पर अधिक और फ़िल्म प्रमोशन एवं मिडिया मैनेजमेंट पर मामूली बजट का प्रावधान किया है, जबकि आजकल तो प्रमोशन पर प्रोडक्शन से कहीं अधिक बजट खर्च किये जा रहे हैं.”
“डोंट वरी दादा ! कम प्रमोशनल बजट में भी फ़िल्म हिट करवाई जा सकती है.”
“अच्छा अच्छा, मतलब आप फ़िल्म में आइटम डांस वगैरह डालने वाले है.”
“नो नो, इटिज वेरी ओल्ड ट्रेंड”
“तो अवश्य कोई किसिंग या बोल्ड बेड सीन दिखाने को सोच रहे हैं.”
“अरे नहीं दादा इसमें नया क्या है ये सब तो अब टीवी सिरिअल वाले भी दिखा रहे हैं”
“फिर क्या सोचा है आपने ?”
“अरे कुछ नहीं, धार्मिक भावनाएं आहत करने वाले कुछ सीन घुसेड देंगे, धर्मगुरु और मिडिया वाले स्वतः फ़िल्म प्रमोट कर देंगे और वो भी मुफ्त में.”
“और सेंसर बोर्ड ?”
“दादा वो सब आप मुझपर छोडिये, फ़िल्म इंडस्ट्री में मैं कोई नया हूँ क्या ? सब मैनेज हो जाता है.”
(मौलिक व अप्रकाशित)
पिछला पोस्ट => हास्य घनाक्षरी : ईलाज
Comment
आदरणीय गणेश भाईजी,
किसी चीज को विवादास्पद बना दो फिर तो लोग टूट पड़ेंगे देखने सुनने के लिए।
अफसोस इस बात का है कि अन्य धर्मों का मज़ाक उड़ानेवाले तो देश बदर हो जाते हैं परंतु हिंदू धर्म का मज़ाक उड़ानेवाले भारत में ही ऐश करते हैं क्योंकि मीडिया और उच्च हिंदू वर्ग जो स्वयं को धर्म से ऊपर मानते हैं ,अनावश्यक तर्क देकर इन्हीं का साथ देते हैं। इसलिए हिन्दुओं का कोई आंदोलन अंजाम तक नहीं पहुंच पाता।
सुंदर कटाक्ष युक्त लघु कथा की बधाई
पि. के . फिल्म पर करारा व्यंग। साधुवाद।
सामयिक समाचारों को लेकर गहरा कटाक्ष करती सुंदर लघु कथा | आजकल सेंसर बोर्ड की किसे प्रवाह है | यथार्थ कथ्य
आदरणीय गणेश जी, सुन्दर सामयिक कटाक्ष . यही नया ट्रेंड है.............
अच्छा सामियक कटाक्ष है। जैसा कि फिल्म पीके के साथ हो रहा है। जैसे जैस उसका विरोध्ा बढ़ रहा है फिल्म की कमाई बढ़ रही है। इस रचना के लिये बधाई।
आ० बागी जी
आपने सच कहा i धार्मिक उन्माद को बढ़ावा देने वाली फिल्म ही नहीं साहित्य भी बहुत सफल है i वरना तसलीमा नसरीन को कौन जानता ? सैटेनिक वर्सेज को इतनी प्रसिद्धि नहीं मिलती i आज तो रिलीज होने से पहले ही फिल्म बैन हो जाती है और फिर जुगाड के बाद सब उसे देखते भी हैं i बहुत सत्य और सुन्दर लघु कथा i सादर i
सराहना हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीया वंदना जी.
ट्रेंड को समझने और लघुकथा सराहने हेतु बहुत बहुत आभार प्रिय सोमेश जी .
आभार आदरणीय राहुल दांगी जी.
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