किस सागर में जान मिलेगी धार समय की
कौन पकड़ पाया जग में रफ़्तार समय की
तेरी यादों की बूबास घुलेगी ज्यूं ज्यूं
बढ़ती जाएगी त्यूं त्यूं महकार समय की
वक़्त कहाँ मिलता है दुनियावी पचड़ों से
मेरी ग़ज़लें सारी है बेकार समय की
वक़्त सिकंदर विश्व-विजेता सदियों से है
सुल्तानी लाफ़ानी है सरदार समय की
चंदा-सूरज गगन-पवन सब मौन खड़े हैं
आयु कौन बतलायेगा सुकुमार समय की
बैर भूलकर मीत बनें सब एक रहें सब
सच मानो तो आज यही दरकार समय की
'खुरशीद'-ओ-महताब सफ़ीने घूम रहे हैं
जाने कब होगी यह नदियाँ पार समय की
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आ0 खुर्शीद जी
समय को आपने पकड़ लिया या समय ने आपको i फिलहाल शेरो के बादशाह है आप i बधाई हो i
बहुत लाजवाब, बधाई , सादर । |
वक़्त कहाँ मिलता है दुनियावी पचड़ों से
मेरी ग़ज़लें सारी है बेकार समय की........... क़ुर्बान ! क़ुर्बान !! क़ुर्बान !!!
मक़्ते के लिए एक बार फिर से विशेष बधाइयाँ..
अब कुछ मेरी ओर से भी .. .
ज्यूं-ज्यूं तेरी यादों की बूबास घुले है..
त्यूं-त्यूं बढ़ती जाए है महकार समय की
चंदा-सूरज गगन-पवन सब मौन खड़े हैं
आयु कौन बतलायेगा सुकुमार समय की // .. बतलायेगा कौन आयु सुकुमार समय की
वैसे ये बेज्जोड़ शेर है.. ..
वाह ..बहुत सुन्दर प्रयोग..धार समय की ..
किस सागर में जान मिलेगी धार समय की
कौन पकड़ पाया जग में रफ़्तार समय की...सुन्दर मतला से अशआर लाजबाब...बधाई आपको.
चंदा-सूरज गगन-पवन सब मौन खड़े हैं,
उम्र कौन बतलायेगा सुकुमार समय की, --- वाह वाह
अद्भुत
चंदा-सूरज गगन-पवन सब मौन खड़े हैं,आयु कौन बतलायेगा सुकुमार समय की,
आदरणीय खुरशीद जी , सुन्दर रचना पर हार्दिक बधाई !
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